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Saturday, 14 March 2015

विभाग की नीतियों के कारण सरकारी स्कूलों का अस्तित्व खतरे में

** अनैतिक : सरकार शिक्षा विभाग ने प्राथमिक पाठशालाओं को प्रयोगशालाएं बनने से न रोका तो कई और स्कूल हो जाएंगे बंद 
कैथल : हरियाणा राज्य में शिक्षा के गिरते स्तर पर सरकार शिक्षा विभाग लगातार शिक्षकों को ही दोषी मानते रहे हैं। शिक्षा में सुधार के बहाने अाए दिन कोई कोई नीति विभाग द्वारा लागू की जाती है लेकिन जब उन नीतियों को अमलीजामा पहनाने की बात आती है तो उसके रास्ते में अनेक अड़चनें जाती हैं और कुछ दिनों के बाद नई नीति की घोषणा कर दी जाती है। 
यह बात राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा के पूर्व जिलाध्यक्ष रोशन लाल पंवार ने कही।पंवार ने कहा कि शिक्षा विभाग सरकार ने स्कूलों को प्रयोगशाला बना दिया है। विभाग द्वारा लागू एजुसेट सिस्टम, कंप्यूटर शिक्षा, जनरेटर व्यवस्था, सेमेस्टर प्रणाली, बिना हाजिरी शिक्षा प्राप्त किए पास करना, परीक्षा प्रणाली समाप्त करना आदि अनेक ऐसी नीतियां विभाग ने शिक्षा पर थोप दी जिससे शिक्षा का पूरा सिस्टम खराब होता गया और आज स्कूलों का अस्तित्व भी समाप्ति की ओर है। एक ही अध्यापक को सभी विषयों की पढ़ाई करानी पड़ती है, खेल के लिए तैयारी करवानी पड़ती है। स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए अध्यापकों के साथ-साथ विभाग तथा सरकार को नई नीति लागू करने से पहले अध्यापकों की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि सभी नीतियां अध्यापकों को ही लागू करनी होती हैं। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बनाकर अध्यापकों से केवल अध्यापन कार्य ही लिया जाना सुनिश्चित किया जाए। 
लौट सकते हैं पुराने दिन 
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष सतबीर गोयत ने कहा कि प्राथमिक पाठशालाओं में पूर्व शिक्षा नीति लागू होने से सुधार हो सकता है। इससे पुराने दिन लौट सकते हैं। बच्चों का नर्सरी कक्षा में दाखिला होना चाहिए। प्राथमिक स्कूलों में अध्यापकों के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। प्राथमिक स्कूलों से मुख्य शिक्षक का पद समाप्ति की ओर है, चौकीदार नहीं है तथा सफाई कर्मचारी भी नहीं है। पानी तथा खेल के मैदान के लिए प्राथमिक स्कूलों को उच्च या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पर निर्भर रहना पड़ता है। 
ये भी मिलें सुविधाएं 

  • नर्सरी के लिए विशेष चित्रों वाली पुस्तकें उपलब्ध हों और विशेषज्ञ अध्यापक भर्ती किए जाएं। 
  • गैर शैक्षणिक कार्यों पर प्रतिबंध लगे 
  • अध्यापकों को जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। 
  • स्मार्ट कक्षाएं शुरू हों 
  • प्राथमिक स्कूलों में अंग्रेजी का अध्यापक हो 
  • मासिक, त्रैमासिक, छ:माही वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन करके फेल करने का नियम लागू हो। 
  • प्रत्येक स्कूल की मांग के अनुसार बजट का प्रावधान हो। 
  • एसएमसी के सभी सदस्य पढ़े-लिखे हों मिड डे मील की जिम्मेदारी लें 
  • सीसीई पर आधारित पाठ्यक्रम पुस्तकें होनी चाहिए। 
  • अभ्यास पुस्तिका में भी मौखिक, लिखित, व्याकरणीय व्यावहारिक प्रश्न हों। 
  • स्कूलों में बिजली का प्रबंध, कंप्यूटर तथा प्रोजेक्टर का प्रबंध हो ताकि आईसीटी को बढ़ावा मिल सके। 
  • वार्षिक कैलेंडर बनाकर सभी क्रियाकलाप करवाए जाएं। 
  • स्कूलों में पार्ट टाइम स्वीपर, पार्ट टाइम माली तथा चपड़ासी का प्रबंध हो 
  • स्कूलों में अधिकारियों का प्रति मास निरीक्षण करना आवश्यक हो 
  • अध्यापकों की समस्याओं का समय पर निपटारा किया जाए।                            db

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