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Sunday, 3 May 2015

मुख्याध्यापकों मिलेगा द्वितीय श्रेणी का दर्जा

** निदेशालय ने प्रधान सचिव को भेजी जाने वाली फाइल की तैयार 
** अभी स्कूलों में दर्जा तृतीय श्रेणी का और काम कर रहे द्वितीय का 
चंडीगढ़ : हरियाणा के मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों को द्वितीय श्रेणी का दर्जा देने की कवायद शिक्षा निदेशालय ने शुरू कर दी है। मौलिक शिक्षा महानिदेशक की ओर से स्कूल शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को भेजा जाने वाला प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। सोमवार को क्रमांक संख्या 15/37-15 वाली मुख्याध्यापकों का ग्रेड बढ़ाने की फाइल प्रधान सचिव के पास पहुंचने की उम्मीद है। मुख्याध्यापक अभी तृतीय श्रेणी में हैं, जबकि स्कूलों में काम उनसे द्वितीय श्रेणी का लिया जा रहा है। 
मुख्यमंत्री मनोहर लाल और शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के साथ बीते महीने हुई शिक्षक संगठनों की बैठक में भी ये मांग प्रमुखता से उठाई गई थी। शिक्षा मंत्री के निर्देशों के बाद ही शिक्षा निदेशालय हरकत में आया है। द्वितीय श्रेणी का दर्जा देने की फाइल प्रधान सचिव से शिक्षा मंत्री और फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास जाएगी। मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद कैबिनेट में भी निर्णय को स्वीकृत कराया जाएगा। इसके बाद अधिसूचना जारी होने पर मुख्याध्यापकों को द्वितीय श्रेणी का दर्जा मिलेगा। पूरी प्रक्रिया में कम से कम दो महीने का समय लग सकता है। मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों के द्वितीय श्रेणी में आने से सरकार को लाखों रुपये का फायदा भी होगा। चूंकि एक भी मिडिल हेड को अंतरिम राहत के तौर पर दो हजार रुपये नहीं देने पड़ेंगे। अभी मिडिल स्कूलों में तैनात मुख्याध्यापकों का दर्जा कार्यालय में तैनात अधीक्षक से भी छोटा है। पंजाब वित नियमों के नियम 1.24 की अनुपालना में प्रदेश के सभी आहरण-वितरण अधिकारी द्वितीय श्रेणी में हैं। मौलिक स्कूल मुख्याध्यापक आहरण-वितरण अधिकारी बनाए जाने पर भी पंजाब वित नियमों के इस नियम के तहत नहीं लाए गए हैं। 
यही नहीं वित विभाग के 2009 में जारी पत्र के अनुसार ग्रेड पे किसी पद का दर्जा तय करने का मानक है। विभाग में 4800 ग्रेड पे वाले पीजीटी तथा 4200 ग्रेड पे वाले अधीक्षक द्वितीय श्रेणी में हैं, जबकि 4800 ग्रेड पे होने के बावजूद मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों को तृतीय श्रेणी मे रखा गया है। 4200 ग्रेड पे वाले सीडीपीओ, 4600 ग्रेड पे वाले सहायक रजिस्ट्रार (कोआपरेटिव सोसाइटी) व सहायक खजाना अधिकारी भी द्वितीय श्रेणी के लाभ पा रहे हैं।                                                                                 dj

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