रेवाड़ी : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा पुनर्मूल्यांकन को लेकर लिए गए फैसले का विरोध होना शुरू हो गया है। बता दें कि बोर्ड की ओर से आदेश जारी किए गए हैं कि यदि उत्तर पुस्तिका की पुनः जांच में नंबर कम आते हैं तो उसे कुल अंकों से घटा दिया जाएगा। हसला की पूर्व प्रांतीय अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि बोर्ड का यह फैसला पूर्णतया छात्र विरोधी, अलोकतांत्रिक, अतार्किक तानाशाही भरा है। यादव ने कहा कि इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। यादव का कहना है कि पहले पुनर्मूल्यांकन में यदि अंक बढ़ जाते थे तो उनको मान लेता था और यदि अंक कम हो जाते थे तो उसको पुनर्मूल्यांकन में शामिल नहीं किया जाता था।
वर्तमान में लिए गए निर्णय के अनुसार यदि पुनर्मूल्यांकन में अंक कम हो जाते हैं तो उसे ही उस विषय का परिणाम माना जाएगा। जो कि न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि दो अध्यापक एक विषय का मूल्यांकन एक-सा नहीं कर सकते। इसका खामियाजा छात्र क्यों भुगते। बोर्ड की नीतियां छात्रों के हित में होनी चाहिए कि बोर्ड हितकारी। बोर्ड प्रशासन छात्र को तो दंडित कर रहा है, परन्तु उस अध्यापक पर लगाम नहीं लगा रहा जो अध्यापक छात्रों की उत्तरपुस्तिकाओं को बिना पढ़े मूल्यांकन करता है।
पुनर्मूल्यांकन में अंक बढ़ने घटने दोनों ही सूरत में यदि एक निर्धारित सीमा से अधिक बदलाव आता है तो अध्यापकों को भी दंडित किया जाना चाहिए। कोई भी छात्र बिना वजह भारी भरकम फीस भरकर पुनः जांच नहीं करवाएगा। अच्छा तो ये कि उत्तरपुस्तिकाओं की छाया प्रति उपलब्ध कराने की सुविधा हो, ताकि छात्र अभिभावक उत्तरपुस्तिका को देखकर पुनर्मूल्यांकन कराने का निर्णय ले सकें। db
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