जींद : स्कूल शिक्षा निदेशालय ने वर्षो से चलाई जा रही राजीव गांधी छात्रवृत्ति योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। घोटाले की आशंका के बीच सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है कि जब कई वर्षो से छठी से आठवीं कक्षा तक परीक्षाएं नहीं ली जा रही तो बच्चों की मेरिट किस आधार पर बनाकर छात्रवृत्ति जारी की जा रही है। निदेशालय ने बाकायदा पत्र जारी कर इस बारे में जल्द स्पष्टीकरण देने को कहा है।
योजना के तहत छठी से आठवीं तक मेरिट में आने वाले बच्चों को तीन साल के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। हर कक्षा से एक लड़के व एक लड़की का चयन किया जाता है जिन्हें 750 रुपये मासिक प्रदान किए जाते हैं। प्रदेशभर में इस योजना के तहत सालाना 80 से 90 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। शिक्षा का अधिकार लागू होने के बाद सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के लिए कोई परीक्षा आयोजित नहीं की जा रही है। ऐसे में मौखिक रूप से ही बच्चों के मूल्यांकन का काम किया जाता रहा है।
योजना के तहत छठी से आठवीं तक मेरिट में आने वाले बच्चों को तीन साल के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। हर कक्षा से एक लड़के व एक लड़की का चयन किया जाता है जिन्हें 750 रुपये मासिक प्रदान किए जाते हैं। प्रदेशभर में इस योजना के तहत सालाना 80 से 90 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। शिक्षा का अधिकार लागू होने के बाद सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा के लिए कोई परीक्षा आयोजित नहीं की जा रही है। ऐसे में मौखिक रूप से ही बच्चों के मूल्यांकन का काम किया जाता रहा है।
सूत्रों के अनुसार विभाग के प्रधान सचिव ने जब योजना का मूल्यांकन किया तो सामने आया कि चार साल से बिना परीक्षाएं लिए ही छात्रवृत्ति दी जा रही है। स्कूल स्तर पर शिक्षक बच्चों को चुनकर इस योजना का पात्र बना देते हैं जिससे विभाग को इस योजना में घोटाले की बू आने लगी है। इसलिए जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर योजना का लाभ दिए जाने का आधार पूछा गया है। डीडीओ को इस बारे में निदेशालय की परीक्षा शाखा को तुरंत ई-मेल के जरिये अवगत कराना होगा।
सरकार के नोटिस में लाया जाएगा मामला:
शिक्षा निदेशालय ने पत्र में स्पष्ट किया है कि इस बारे में समस्त जानकारी शीघ्रता से निदेशालय को पहुंचा दी जाए। निर्धारित समय में सूचना उपलब्ध न कराने पर यह पूरा मामला सरकार के नोटिस में लाया जाएगा ताकि कार्रवाई की जा सके। dj
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