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Thursday, 4 June 2015

सरकारी स्कूलों के लिए ऑनलाइन सिस्टम बना मुसीबत

** 5 साल से कम आयु के बच्चों का डाटा नहीं हो रहा आॅनलाइन 
** अध्यापक बोले, दाखिले नहीं हुए तो छात्र संख्या होगी कम
कैथल : हरियाणा में सरकार बदलने के बाद सरकारी स्कूलों के दिन बदलने की जो उम्मीद दिखाई दे रही थी, अब वह धूमिल होती नजर रही है। शिक्षा विभाग की नीतियों के कारण जहां अभिभावक सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ रहे हैं। वहीं बच्चों के दाखिले के लिए ऑनलाइन डाटा सिस्टम ने भी अध्यापकों की नींद उड़ा रखी है। कंप्यूटर पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों का डाटा नहीं उठा रहा। इसका पहली कक्षा के बच्चों की छात्र संख्या पर भी प्रभाव पड़ेगा। 
सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं की कमी, सेमेस्टर सिस्टम, फेल करना कमियां होने के कारण ज्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलवाना उचित समझा है। वहीं सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने के इच्छुक विद्यार्थी भी अधिकारियों की असंवेदनशीलता के कारण दाखिले से वंचित हो रहे हैं। 
40 वर्ष पुराने फॉर्मूले पर चल रहा शिक्षा विभाग : 
एक ओर आस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के ग्यारह वर्ष के बालक द्वारा ग्रेजुएशन करने पर भारत वर्ष का नाम ऊंचा किया है। वहीं शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में बच्चों को दाखिल करने के लिए कम से कम पांच वर्ष की आयु निर्धारित की है, जो किसी भी तरीके से ठीक नहीं है। विभाग दाखिले के लिए 40 वर्ष पुराने फॉर्मूले पर चल रहा है, जबकि निजी स्कूलों में दो से तीन वर्ष के बच्चों को दाखिला दिया जा रहा है। अभिभावक और विशेषज्ञ भी तीन से चार वर्ष की आयु के बच्चे को स्कूल में दाखिले के पक्षधर हैं। शिक्षा विभाग द्वारा डाटा ऑनलाइन सिस्टम के अनुसार एक अप्रैल को पांच वर्ष से एक दिन कम आयु का बच्चा भी दाखिले के योग्य नहीं है जिसके कारण पूरे राज्य में पांच वर्ष से कम आयु के पहली कक्षा में दाखिल किए बच्चों का डाटा ऑनलाइन नहीं हो पा रहा है। इस स्थिति में अभिभावक एक साल दाखिले के लिए इंतजार नहीं करेंगे और उसे प्राइवेट स्कूल में दाखिल करा दिया जाएगा। जो दोबारा सरकारी स्कूल का रूख कभी नहीं करेगा। मौजूदा समय में जन्म दर कम होने के कारण जनसंख्या कम हो रही है और शिक्षा विभाग अपने नियमों में ढील देने के बजाय उन्हें और कठोर बना रहा है जिससे स्कूलों में दाखिला प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है। 
टीचर अच्छा होना चाहिए, बच्चा स्वयं पढ़ लेता है 
जिला उप शिक्षा अधिकारी शमशेर सिरोही का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं हैं। जबकि सरकारी स्कूलों में ऐसा नहीं है। सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली में बच्चे की उम्र कम से कम पांच वर्ष की होनी चाहिए। जब प्राइवेट स्कूल का बच्चा पहली कक्षा में होता है तो उसकी उम्र भी पांच वर्ष ही होती है। अगर टीचर अच्छा हो तो बच्चा स्वयं पढ़ जाता है। इससे छात्र संख्या पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। भविष्य के लिए यही एक माध्यम स्कूलों को बेहतर बना सकता है। 
दाखिला प्रक्रिया में लचीलापन हो 
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान राजेश बैनीवाल, कोषाध्यक्ष अशोक वर्मा और संरक्षक रोशन लाल पंवार ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग लगातार ऐसी नीतियां बना रहे हैं ताकि स्कूलों में छात्र संख्या होती रहे। दाखिले के लिए बच्चों की आयु की शर्त लागू करना बच्चों के साथ अन्याय है। विभाग को कक्षा प्रथम में दाखिले के लिए पांच वर्ष की आयु की शर्त समाप्त करनी चाहिए और नर्सरी कक्षा के बच्चों को भी छात्र संख्या में शामिल करना चाहिए।                                                                            db

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