** महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जारी किए एडिड कॉलेज प्राचार्यो को पत्र, पात्रता को लेकर उठाया कदम
रोहतक : प्रदेश में गैर सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति का मामला अधर में लटक रहा है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ने तो संबद्ध महाविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश भी जारी कर दिए हैं। इससे महाविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर का सपना देख रहे हजारों अभ्यर्थियों को करारा झटका लगा है, वहीं महाविद्यालयों में सहायक प्रोफेसरों के खाली पदों से नए शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी।
विदित रहे कि प्रदेश में 97 गैर सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के करीब 600 पद खाली पड़े हैं। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के डीन कालेज डेवलपमेंट काउंसिल प्रोफेसर इंदिरा ढुल ने संबद्ध गैर सरकारी सहायता प्राप्त डिग्री व एजुकेशन कालेज प्राचार्यों को पत्र लिखकर सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। यह पत्र मदवि के कुलपति के आदेश पर जारी किया गया है। पत्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति की पात्रता का हवाला दिया गया है। जब तक यूजीसी और राज्य सरकार की तरफ से आगामी कोई आदेश नहीं मिलते तब तक सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह से बंद रहेगी। मदवि प्रशासन द्वारा जारी पत्र से जहां महाविद्यालय प्रबंधन में हड़कंप मच गया, वहीं सहायक प्रोफेसर की दौड़ में खड़े हजारों अभ्यर्थियों को भी गहरा झटका लगा है।
सरकार ने निकालना चाहिए रास्ता: चाहर
हरियाणा गैर सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालय टीचर एसोसिएशन के प्रधान डॉ. नरेंद्र चाहर का कहना है कि लंबे समय से नियुक्त प्रक्रिया लंबित पड़ी है। सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में सहायक प्रोफेसर की पात्रता को लेकर मामला चल रहा है। नियुक्तियों पर रोक से महाविद्यालयों में खाली पड़े पद भरे नहीं जाएंगे, जिसके नए सत्र में शैक्षणिक कार्य प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि गेस्ट फैकल्टी ही महाविद्यालयों प्रबंधन के लिए विकल्प रहेगा। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही उच्चरतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन से मुलाकात करेंगे।
शैक्षणिक कार्य होगा प्रभावित
सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति न होने के कारण नए शैक्षणिक सत्र में विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी। कई महाविद्यालयों में काफी पद खाली पड़े हुए हैं। शैक्षणिक कार्य अतिथि सहायक प्रोफेसरों के सहारे चल रहा है, लेकिन योग्यता और अनुभव नहीं होने के कारण इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।
"सुप्रीम कोर्ट ने सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए नेट को अनिवार्य किया है। इस संबंध में राज्य सरकार और यूजीसी को पत्र लिखकर सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर गाइड लाइन मांगी गई थी, लेकिन अभी तक जवाब नहीं मिला है। इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है।"-- प्रो. इंदिरा ढुल, डीसीडीसी, मदवि, रोहतक। dj
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