अम्बाला : शिक्षा विभाग ने दसवीं व बारहवीं की परीक्षा में अपने विषय में पचास फीसदी से कम रिजल्ट देने वाले अध्यापकों को ग्रीष्मावकाश के दौरान क्लासें लगाने के आदेश तो दे दिए लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक न तो छात्रों में इसे लेकर कोई दिलचस्पी है और न ही अध्यापकों का बहुत मन।
गांवों के स्कूलों में काम करने वाले ज्यादातर अध्यापक शहरों में रहते हैं, इस बार जून की झुलसा देने वाली गर्मी में बस, ऑटोरिक्शा या फिर अपने दोपहिया वाहन से स्कूल जाने आने में इस बार उनका खूब पसीना बहेगा।
एक जून को जब कुछ सरकारी स्कूलों के अध्यापकों से बातचीत की तो उन्होंने विभाग के इस फैसले को तुगलकी फैसला बताया। उनका कहना था कि विभाग ने आठवीं कक्षा तक किसी भी छात्र को फेल न करने के जो निर्देश जारी किये थे, उसकी वजह से ही दसवीं के नतीजे खराब रहे, इसके लिए अध्यापकों को सज़ा देना सही नहीं है।
छात्रों को छुट्टियों में स्कूल लाना नहीं होगा आसान :
एक हाई स्कूल के एक अध्यापक का कहना था कि सरकारी स्कूलों में ज्यादातर छात्र बीपीएल वर्ग से होते हैं, उन्हें पहले ही बड़ी मुश्किल से स्कूल लाया जाता है अब उन्हें छुट्टियों में स्कूल लाना आसान नहीं होगा। शहर के साथ लगते कुछ एक हाई स्कूल व सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में एक जून को दसवीं व बारहवी के क्लासों में छात्रों की तादाद काफी कम देखने को मिली। छात्र बमुिश्कल स्कूलों में पहुंच रहे हैं। dt
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