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Friday, 7 August 2015

शिक्षा नीति में बदलाव के खिलाफ एकजुट हुए वामपंथी

नई दिल्ली : राजधानी में जंतर-मंतर पर शिक्षा के निजी करण, च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम, यूनिवर्सिटी बिल सहित अन्य मुद्दों को लेकर जंतर मंतर पर शिक्षा संसद में देश के विभिन्न हिस्सों के छात्र संगठन तथा शिक्षक संगठन और बुद्धिजीवी इकट्ठा हुए और अपनी बात रखी। जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ द्वारा आयोजित इस शिक्षा संसद में प्रसिद्ध शिक्षाविद् अनिल सदगोपाल ने कहा कि सरकार पूंजीवादी ताकतों के दबाव में विश्व व्यापार संघ के तहत जन विरोधी निर्णय ले रही है।
वहीं जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष आशुतोष ने बताया कि हम वैश्विक दबाव में आकर सरकार द्वारा जनविरोधी कार्यो का विरोध करते हैं। केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रमुख बदलावों के विरोध में यहां शिक्षक व छात्र संगठन एकजुट हुए हैं। वर्तमान दौर शिक्षा के संकट का दौर है, जिस तरह से शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है, वह घातक है। बिनी किसी तरह योग्यता और योगदान देखे ही प्रतिष्ठित संस्थानों के लोग प्रमुख बनाए जा रहे हैं। बडे स्तर पर च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम लाकर शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी बिल और अन्य जो बदलाव किए जा रहे हैं वह आम जन के लोगों में नहीं है। 
डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय सहित देश के अन्य विश्वविद्यालयों में सीबीसीएस के लागू करके केन्द्र उच्च शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है। यह किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। जेएनयू शिक्षक संघ के अध्यक्ष सच्चिदानंद सिंहा ने कहा कि उच्च संस्थानों की शिक्षा के साथ किया जाने वाला खिलवाड़ खतरनाक है। इस कार्यकम में देश के विभिन्न हिस्सों से विद्वान आ रहे हैं जो अपने विचार रखा। इसमें लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. रुपरेखा वर्मा, एफटीआइआइ के छात्र संगठन अध्यक्ष नाची मट्टू सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी।                                                                   dj6.8.15

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