रोहतक : आयकर विभाग ने अब पेशेवर करदाताओं को राहत देते हुए तिमाही टीडीएस की रिटर्न प्रक्रिया को आसान बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अगर किसी नियोक्ता (एंप्लायर) ने अपने किसी कर्मचारी (इम्पलाय) के मासिक वेतन में से टीडीएस नहीं काटा है तो उसे तिमाही की रिटर्न भरने की जरुरत नहीं है। विभाग के इस फैसले से समय और धन दोनों की बचत होगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार, नियोक्ता को अपने अधिकृत कर्मचारी के वेतन में से हर माह टीडीएस काट कर उसका रिटर्न जमा कराना अनिवार्य है। इसमें नियोक्ता को टीडीएस (स्त्रोत पर कर) की रिटर्न को एनएसडीएल की फ्रेंचाइजी के तहत 24 क्यू में अपलोड कराना होता है। इसके तहत जिस व्यक्ति का टीडीएस काटा है, उसका नाम, पेन नंबर, तीन माह का कुल वेतन, चालान नंबर और कर घटाने के बाद जो राशि बच जाती है, उसका भी ब्यौरा देना जरूरी है।
इसलिए लिया फैसला
अगर नियोक्ता ने किसी कारणवश कर्मचारी का तिमाही टीडीएस नहीं काटा है तो तब भी उसे तिमाही रिटर्न भरना जरूरी था। वहीं, 2 लाख रुपए की सालाना आय लेने वाले कर्मचारियों का कर न बनने के बावजूद उनका ब्यौरा देना पड़ता था। इसे निल टीडीएस रिटर्न कहा जाता है। यह रिटर्न जुर्माने से बचने के लिए भरा जाता था। इससे पैसे और समय दोनों की हानि होती थी। इसी झंझट से नियोक्ता को बचाने के लिए विभाग ने यह फैसला लिया है।
"इस निर्णय से नियोक्ता को अब न तो कोई निल टीडीएस रिटर्न जमा कराने की जरूरत है और न ही उससे संबंधित कोई जुर्माना देने की। इससे नियोक्ता के समय और पैसे दोनों की बचत होगी।"-- संजय थरेजा, चार्टर्ड एकाउंटेंट। db
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