** आकलन में खरा न उतरने वाले छात्रों को न करें अपग्रेड
चंडीगढ़ : शिक्षा का अधिकार कानून के तहत शुरू की गई नो डिटेंशन पालिसी (कोई अनुत्तीर्ण नहीं) को उत्तरी पूर्वी राज्यों ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली में अनफिट करार दिया है। सोमवार को कोलकाता में हुई केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 5वीं उप-समिति की बैठक में राज्यों के शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों ने खुल कर अपने विचार रखे। उत्तर पूर्वी राज्यों के शिक्षा प्रतिनिधियों ने कहा कि सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली सहायक है, लेकिन आठवीं कक्षा तक ‘कोई अनुत्तीर्ण नहीं’ का प्रावधान शिक्षा प्रणाली के साथ सही तालमेल नहीं बैठा पा रहा है। बैठक की अध्यक्षता कर रहीं उप-समिति की चेयरपर्सन व हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि राज्यों से सुझाव लिए जा रहे हैं। कोई अनुत्तीर्ण नहीं का प्रावधान विद्यार्थियों के साथ अध्यापकों के मस्तिष्क से भी परीक्षा के दबाव को कम कर रहा है, मगर इससे अभिभावकों की चिंता बढ़ रही है। अभिभावकों का मानना है कि वर्तमान प्रणाली से पहले वाली प्रणाली ही सही थी। भुक्कल ने कहा कि आठवीं कक्षा तक कम से कम दो पड़ाव होने चाहिए जहां पर आंकलन पर खरा न उतरने वाले विद्यार्थियों को तब तक उपग्रेड न किया जाए जब तक वे अगले पड़ाव के योग्य न हो जाएं। बच्चों के मन से परीक्षा का भय निकालना अच्छी बात है लेकिन उनकी प्रतिभा निखारने के प्रयास बंद नहीं होने चाहिए। इसलिए मानदंडों पर खरा न उतरने वाले विद्यार्थियों को रिकार्ड पर रखा जाना चाहिए। व्यवस्था में एक समानता आंकलन के लिए स्वतंत्र परख या परीक्षा तंत्र की आवश्यकता है न की पूर्णरूप से अध्यापकों की जो विद्यार्थियों का आंकलन करते हैं। बैठक के दौरान शिक्षा का अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन को लेकर सभी राज्यों ने प्रसन्नता जताई। बैठक में पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री बर्तय वासु, हरियाणा शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुरीना राजन के अलावा त्रिपुरा, असम, मिजोरम, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश व हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। dj
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