** आठवीं तक बच्चों में फेल होने का डर नहीं
** दसवीं के बच्चों के प्रदर्शन पर पड़ रहा असर
चंडीगढ़। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बिना फेल पास किए काम नहीं चलेगा। कम से कम एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया के तहत बच्चों को गुजरना होगा। करीब 18 से 19 राज्य फेल पास की इस प्रकिया के पक्ष में हैं। उत्तरी-पूर्वी राज्यों की राय आनी बाकी रह गई है।
आगामी 23 अक्तूबर को हरियाणा की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल इन राज्यों के अधिकारियों और शिक्षा मंत्रियों के साथ बैठक करेंगी।
भुक्कल चीफ एडवाइजरी बोर्ड आफ एजुकेशन की सब कमेटी की चेयरमैन हैं। इनके माध्यम से केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को एक्ट में सुधार के लिए सिफारिशें सौंपी जाएंगी। लिहाजा सभी राज्यों से इस बाबत बातचीत चल रही है।
शिक्षा के अधिकार के तहत किसी बच्चे को आठवीं कक्षा तक फेल न करने का प्रावधान है। इस कारण बच्चों के अंदर फेल होने का डर खत्म हो गया है और दसवीं में बच्चों के प्रदर्शन पर असर पड़ रहा है। हरियाणा बोर्ड के दसवीं कक्षा के खराब परिणाम इस बात का प्रमाण हैं। शिक्षा मंत्री द्वारा किए गए विभिन्न राज्यों के दौरे में यह बात निकल कर सामने आई है कि पढ़ने वाले बच्चे खुद नहीं चाहते कि सबको एक ही तराजू में तौला जाए। बच्चों का कहना है कि जो बच्चा अधिक मेहनत करे उसे उस हिसाब से स्थान मिलना चाहिए।
"आगामी 23 अक्तूबर को उत्तरी पूर्वी राज्यों के साथ बैठक है। सभी राज्यों से बातचीत में यह निष्कर्ष निकला है कि बच्चों को फेल पास किए बिना शिक्षा का स्तर नहीं सुधरेगा। जबकि राज्य सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) के पक्ष में हैं। हम अपने अध्यापकों को सीसीई मूल्यांकन प्रणाली के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं।"--गीता भुक्कल, शिक्षा मंत्री हरियाणा। au
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