चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील पकाने वाले कुकों को देश के नामी-गिरामी होटलों के शेफ ट्रेनिंग देंगे। सरकार ने यह कदम मिड डे मील में निरंतर मिल रही शिकायतों के मद्देनजर उठाया है। इसका उद्देश्य मिड डे मील में गुणवत्ता और स्वच्छता को बढ़ावा देने का है। प्रदेश के 9448 प्राइमरी स्कूलों के 13 लाख 72 हजार 547 तथा 5432 अपर प्राइमरी स्कूलों के 7,08,995 विद्यार्थियों को मिड डे मील दिया जाता है। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) केंद्रों के 7453 छात्र भी इस योजना के लाभ के दायरे में आते हैं। प्रदेश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद मिड डे मील की क्वालिटी में सुधार नहीं हो पा रहा है। हाल ही में राज्य सरकार को मिड डे मील में खामियों संबंधी 46 शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने जहां शिक्षा विभाग के अधिकारियों की व्यक्तिगत जवाबदेही सुनिश्चित कर दी है, वहीं अब खुले में पड़े खाद्यान्न को मिड डे मील के लिए इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। इसके अतिरिक्त मिड डे मील पकाने वाले कुक को देश के नामी होटलों से ट्रेनिंग दिलाए जाने की योजना है। प्रदेश सरकार ने मिड डे मील पकाने के लिए 31,596 कुक रखे हुए हैं। इनमें से कुछ कुक को दिल्ली के ओबराय होटल के शैफ ट्रेनिंग देंगे। दो दर्जन से अधिक कुक की ट्रेनिंग हो चुकी है। कुछ की ट्रेनिंग होने वाली है। ट्रेनिंग दिल्ली और प्रदेश के विभिन्न केंद्रों पर होगी। प्रदेश सरकार के कैटरिंग इंस्टीट्यूट के शैफ भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा होंगे। स्टेट इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट तिलियार लेक रोहतक में ऐसी ट्रेनिंग दी जाने वाली है। मिड डे मील पकाने वाले कुक की ट्रेनिंग के बाद वे अपने बाकी साथियों को मिड डे मील पकाने का प्रशिक्षण देंगे। इस बीच खाद्यान्न को सुरक्षित रखने के लिए 18 हजार 320 भंडारण उपलब्ध कराए हैं। dj
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