चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शिक्षा नियमावली के 134ए के संबंध दायर जनहित याचिका का बुधवार को निपटारा कर दिया। इस दौरान प्रदेश की शिक्षा सचिव सुरीना राजन पेश हुईं और सरकार का पक्ष रखा।
मालूम हो कि हाईकोर्ट ने हरियाणा शिक्षा नियमावली के 134 ए में सहायता के लिए राजन को तलब किया था। हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए निजी स्कूलों को इस नियम के तहत दस प्रतिशत सीट आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान स्कूलों ने कहा कि वे पहले ही शिक्षा के अधिकार के तहत 25 प्रतिशत सीट रिजर्व कर रहे हैं। जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई स्कूल आरटीई के दायरे में है तो उसे किसी भी सूरत में 25 प्रतिशत से अधिक नहीं देना होगा। निजी स्कूलों ने सरकार की इस नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस नीति में वापसी भुगतान का कोई नियम नहीं है। चीफ जस्टिस ने वकील से पूछा कि जब केंद्रीय शिक्षा का अधिकार है तो इस कानून की क्या जरूरत है। निजी स्कूलों के वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने अभी तक आरटीई के तहत स्कूलों को अधिकृत नहीं किया है। जिस कारण राज्य में आरटीई लागू नहीं हुई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत प्रवेश दिलाना चाहती है तो कम से कम इस बारे में उनसे ली जाने वाली फीस तय करे या सरकार भुगतान के बारे में कोई नीति बनाए। हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी का पुनगर्ठन कर उसमें स्थानीय गैर सरकारी संस्थानों को शामिल करने को भी कहा। मालूम हो कि सत्यवीर हुड्डा ने 2010 में इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। dj
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