चंडीगढ़ : अतिथि अध्यापक 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का बहिष्कार यूं ही नहीं कर रहे। कई वर्षो से उनकेमन में पल रहा गुस्सा इसका कारण बना है। स्कूल शिक्षा बोर्ड भिवानी ने गेस्ट लेक्चरर की ड्यूटी उस काम के लिए लगा दी, जिसे करने के लिए पूर्व में वे कई बार तिरस्कार ङोल चुके थे।
अतिथि अध्यापकों ने उत्तर पुस्तिकाएं न जांचने का निर्णय सोच-समझकर लिया है। बोर्ड अगर सख्त कार्रवाई करता है तो वे उग्र आंदोलन कर सकते हैं। हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के अध्यक्ष अरुण मलिक व प्रधान महासचिव राजेंद्र शास्त्री का कहना है कि लगभग तीन हजार गेस्ट लेक्चरर डयूटी का बहिष्कार नहीं बल्कि बोर्ड की गलत नीतियों का विरोध कर रहे हैं। बोर्ड अधिकारियों ने अगर उनके पद की गरिमा को बनाए रखा होता तो वे उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने से कभी मना नहीं करते। राजेंद्र शास्त्री ने कहा कि कई स्कूलों में प्रिंसीपल नहीं हैं। उनमें स्थायी लेक्चरर को ही आहरण एवं वितरण शक्तियां मिली हुई हैं। उन्होंने उत्तर पुस्तिकाएं जांचने से मना कर दिया है, वे उनके विरुद्ध नहीं जा सकते। इससे उनके संबंधों में खटास आएगी।
बोर्ड दोहरी नीति अपनाता आया है, पूर्व में कई बार उन्हें लिखित डयूटी के आदेश जारी किए गए, लेकिन परीक्षा व मूल्यांकन केंद्रों के प्रभारी को मौखिक आदेश दे दिया गया कि इनसे डयूटी नहीं लेनी है। इससे उन्हें कई बार बच्चों के सामने अपमानित होना पड़ा।
कब-कब हुआ भेदभाव
- 2005 से 2007 तक गेस्ट टीचर से नॉन बोर्ड की परीक्षाओं व पेपर मार्किंग में ड्यूटी नहीं लगाई
- 2012 में कुरुक्षेत्र व कैथल में गेस्ट टीचर को बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी करने से रोका
- 2013 में झज्जर में गेस्ट टीचर को बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी देने से मना किया
- परीक्षा केंद्र अधीक्षक गेस्ट टीचर को लिखित आदेश होने के बावजूद करते रहे अपमानित। dj
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