रोहतक /झज्जर : हसला ने अब प्रदेश सरकार से आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के राज्य प्रधान दयानंद दलाल ने कहा कि वे अब विभाग व सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे। शैक्षणिक माहौल को बरकरार रखते हुए लंबित मांगों को पूरा कराने के लिए मोर्चा खोल दिया गया है। उधर शिक्षा बोर्ड के लाख प्रयास के बाद भी 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का काम शुरू नहीं हो पाया। मूल्यांकन का काम 7 नवंबर से शुरू होना था। हालात ये हैं कि शिक्षामंत्री के गृह जिले में भी उत्तरपुस्तिकाओं की जांच नहीं हो रही।
संगठनों को करेंगे एकजुट :
इस लड़ाई के प्रारूप के लिए हसला प्रदेशभर के शिक्षक संगठनों के अलावा अन्य कर्मचारी संगठनों के संपर्क में हैं ताकि एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
पढ़ाई नहीं होने देंगे बाधित :
अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए हसला विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करेगी। आंदोलन की रूपरेखा ऐसे तैयार की जाएगी, जिससे छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो।
इसलिए किया बहिष्कार :
पत्रकारों से चर्चा करते हुए हसला के राज्य प्रधान दयानंद दलाल ने कहा कि सरकार उनकी जायज मांगों पर भी ध्यान नहीं दे रही है। हर बार सरकार ने सिर्फ आश्वासन ही दिया हैं। उनकी एक भी मांग को नहीं माना। इसलिए सरकारी प्राध्यापकों ने 12वीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का विरोध किया है।
निजी स्कूल के प्राध्यापक भी नहीं माने :
सरकार ने बोर्ड के माध्यम से अतिथि व निजी स्कूलों के प्राध्यापकों से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने भी हसला की मांगों को जायज बताते हुए मना कर दिया।
सरकार फैला रही भ्रम :
दलाल ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार, बोर्ड व विभाग के अधिकारी भ्रम फैला रहे हैं कि हसला ने जो निर्णय लिया है वह विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखकर नहीं लिया गया। उन्होंने साफ किया कि पिछले बहिष्कार के पहले दिन से ही हसला को हर सदस्य नए सेमेस्टर के अध्यापन कार्य में जुटा हुआ है। इस बहिष्कार का शैक्षणिक माहौल पर बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
बोर्ड ने लिया विज्ञापन का सहारा :
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी ने एक विज्ञापन के माध्यम से हसला से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य शुरू करने की अपील की है। विभिन्न समाचार पत्रों में एक विज्ञापन देकर बोर्ड ने कहा है कि मूल्यांकन में देरी होने से विद्यार्थियों के हित प्रभावित होते हैं, इसलिए हसला को बिना देरी किए उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करना चाहिए।
अतिथि अध्यापक भी नाराज
अतिथि अध्यापकों ने भी उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्याकंन के लिए मना कर दिया है। अतिथि अध्यापकों ने शिक्षा विभाग पर आरोप लगाया कि जब उनकी ड्यूटी परीक्षा में गलती से लग जाती है तो उसे तुरंत कटवा दिया जाता है। अब उनकी ड्यूटी मूल्यांकन में क्यों लगाई जा रही है। यूनियन का कहना है कि बोर्ड दोहरा रवैया अपना रहा है। इस रवैये को बंद कर पहले अतिथि अध्यापकों की परीक्षा में ड्यूटी लगाई जाए, उसके बाद ही उनसे मूल्यांकन कराने का काम लिया जाए। dt
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