** हसला के बहिष्कार से खड़ी हुई समस्या, अभी तक शुरू नहीं हो सकी है 35 हजार कॉपियों की जांच
पानीपत : 12वीं प्रथम सेेमेस्टर की परीक्षा दे चुके स्टूडेंट्स को इंतजार है रिजल्ट का। लेकिन बोर्ड और हरियाणा लेक्चरर एसोसिएशन के बीच छिड़ी जंग में आंसरशीट ही चेक नहीं हो रहीं। बोर्ड ने अब सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों (एडेड) के टीचर्स को कॉपियां चेक करने का निर्देश दिया है। लेकिन संकट की बात यह है कि पानीपत में इस समय सिर्फ छह अध्यापक हैं। इन्होंने भी फिलहाल चेकिंग शुरू नहीं की है। अगर इन्होंने कॉपियां चेक करनी भी शुरू कीं तो इन सभी को चेक करते-करते करीब साढ़े पांच महीने लग जाएंगे। तब तक तो दूसरे सेमेस्टर की भी परीक्षाएं हो चुकी होंगी।
बता दें कि सात नवंबर से 12वीं प्रथम सेमेस्टर की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन होना था। लेकिन हरियाणा लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) ने अपनी मांगों को लेकर मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद बोर्ड ने मूल्यांकन का जिम्मा अतिथि अध्यापकों को सौंपा। लेकिन अतिथि अध्यापकों ने भी शर्त रख दी कि जब तक भविष्य में भी उन्हें चेकिंग का मौका नहीं मिलेगा, तब तक वे मूल्यांकन नहीं करेंगे। अब बोर्ड ने एडेड स्कूलों को निर्देश भेजकर मूल्यांकन करने का निर्देश दिया है। एडेड स्कूलों में स्टाफ ही नहीं है आंसरशीट चेक कैसे होंगी।
"जिले के चार एडेड स्कूलों में से सिर्फ दो स्कूलों में ही रेगुलर प्राध्यापक हैं। एक प्राध्यापक बाहर गए हैं। छह प्राध्यापक मूल्यांकन नहीं कर सकते। मुश्किल लग रहा है।"-पवन सिंह, प्रिंसिपल, आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पानीपत
ये है लेट का फार्मूला
मूल्यांकन के दौरान एक प्राध्यापक प्रतिदिन 35 कॉपियां चेक करता है। इस हिसाब से 6 प्राध्यापक एक दिन में सिर्फ 210 कॉपियों का ही मूल्यांकन कर सकेंगे। इस तरह अगर इन प्राध्यापकों को 35 हजार कॉपियों का मूल्यांकन करना पड़ा तो इन्हें मूल्यांकन करने में ही साढ़े पांच माह लग जाएंगे। तब तक यानि साढ़े पांच माह बाद मई में दूसरे सेमेस्टर की कॉपियों का मूल्यांकन पूरा हो जाना चाहिए। इस सबमें नुकसान तो स्टूडेंट्स का ही होगा।
इधर, चेतावनी- बहिष्कार जारी रहेगा
हसला के प्रदेश महासचिव डॉ. रविंद्र डिकाडला का कहना है कि पहले प्राध्यापकों की ग्रेड पे बढ़ाई जाए, प्रिंसिपल पद पर प्राध्यापकों को शत प्रतिशत कोटा दें, तभी मूल्यांकन करेंगे। बहिष्कार जारी रहेगा।
200 की जिम्मेदारी 6 प्राध्यापक पर
35 हजार कॉपियों का मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड की तरफ से करीब 200 प्राध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई थी। लेकिन बहिष्कार के कारण अब इतनी ही कॉपियों के जांच की जिम्मेदारी 6 प्राध्यापकों के कंधे पर डाल दी गई है। प्राध्यापकों की कमी के कारण बोर्ड द्वारा निर्देश मिलने के बाद भी अभी तक मूल्यांकन नहीं शुरू हो पाया।
10 प्राध्यापक चेक करते हैं हजार कॉपियां
एक विषय की करीब एक हजार कॉपियों के मूल्यांकन के लिए 10 प्राध्यापकों को नियुक्त किया जाता है। मान लीजिए, हिंदी विषय की एक हजार कॉपियां हैं। इन कॉपियों की जांच के लिए एक हेड व करीब आठ से नौ सहायक नियुक्त किए जाते हैं। db
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