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Monday, 11 November 2013

हाजिरी हुई कम तो छात्र के साथ स्कूल भी नपेंगे

** सीबीएसई की बनी स्पेशल टीम
** 75फीसदी हाजिरी होनी जरूरी, भेजी गई स्कूलों को सूचना 
फरीदाबाद : सीबीएसई स्कूलों में 10वीं-12वीं में पढऩे वाले स्टूडेंट्स सावधान हो जाएं। क्लास बंक कर मेडिकल या इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए कोचिंग जाने वाले स्टूडेंट्स पर सीबीएसई शिकंजा कसने जा रही है। इसके लिए स्कूलों में चैकिंग के लिए टीम गठित हो चुकी है। जोकि समय-समय पर स्टूडेंट्स की हाजिरी चेक करेगी। इसके तहत फरीदाबाद के स्कूलों को सूचना मिल गई है। 
शहर में सीबीएसई से एफलेटिड करीब 100 स्कूल हैं। इस समय ट्रेंड चल गया है कि स्टूडेंट्स अपनी क्लास से ज्यादा इंजीनियरिंग व मेडिकल की तैयारी को अधिक समय देने के चलते कोचिंग संस्थानों का रुख करते हैं। वहां वे नियमित कक्षाएं लेते हैं। स्कूलों में अपनी हाजिरी नहीं लगाते हैं। इस संबंध में सीबीएसई बोर्ड को शिकायतें मिली हैं। इसके बाद ही बोर्ड ने यह कदम उठाया है। स्कूलों का औचक निरीक्षण करने के लिए सीबीएसई ने टीम का गठन किया है। जिसमें सीबीएसई से जुड़े शिक्षकों को ही रखा गया है।
75 फीसदी जरूरी हाजिरी 
स्कूलों को जारी निर्देश में सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि स्कूल में छात्रों के लिए 75 फीसदी हाजिरी जरूरी है। पिछले कुछ समय से बोर्ड को लगातार स्कूलों में छात्रों की संख्या कम होने की शिकायतें मिल रही हैं। ऐसी शिकायतों को देखते हुए बोर्ड ने हाल ही में सरप्राइज चेकिंग के संबंध में स्कूलों को पत्र जारी किया है। पत्र में कहा गया है कि स्कूलों में छात्र नियमित कक्षा में में हाजिर नहीं हो रहे हैं। छात्र बंक मारकर मेडिकल, सीए या इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए स्कूल समय में कोचिंग क्लास लेते हैं। जो सही नहीं है। यह टीम नवंबर के अंतिम सप्ताह से स्कूलों में चैकिंग शुरू करेगी।
चैकिंग करने की वजह 
कक्षा 10वीं-12वीं के रिजल्ट में गिरावट आ रही है। बोर्ड द्वारा जारी होने वाले पत्र को गंभीरता से नहीं लेते हैं स्कूल प्रबंधक। कोचिंग इंस्टीट्यूट को बढ़ावा देने के संबंधी शिकायत आ रही थी। एक सेमेस्टर के बाद स्टूडेंट्स की संख्या गिरने लग जाती है। कुछ स्कूल अभिभावक के कहने पर कोचिंग क्लास की भी अनुमति देते हैं। 
ये होगी कार्रवाई 
बोर्ड द्वारा गठित स्पेशल इंस्पेक्शन टीम स्कूलों का निरीक्षण करेगी। टीम को अगर 10वीं-12वीं में स्टूडेंट्स की संख्या कम मिली तो स्कूल प्रबंधन से जवाब मांगा जाएगा। स्कूल की गलती मिलने पर डाउन-ग्रेड किया जा सकता है या अगर स्कूल की मान्यता 12वीं तक है, तो उसकी मान्यता 10वीं तक की जा सकती है। स्टूडेंट्स की संख्या में कटौती की जा सकती है। मान्यता रद्द की जा सकती है। स्टूडेंट्स को फाइनल परीक्षा से निष्कासित किया जा सकता है। अभिभावकों से भी पूछताछ की जा सकती है।           db

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