कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी प्रशासन की गलती और सजा विद्यार्थियों ने भुगती। भले ही यह पढऩे में आपको अटपटा लगे, लेकिन यह सौ फीसदी सच है। जिसके कारण दो योग्य आवेदकों को एमफिल में दाखिला नहीं मिल पाया। एमफिल अंग्रेजी में जहां विभागाध्यक्ष ने आवेदकों को काउंसलिंग में 10 मिनट देरी से आने पर काउंसलिंग में शामिल न करके नियमों की धज्जियां उड़ाई।
वहीं इतिहास विभाग में एमफिल में दाखिला लेने से वंचित रह गए छात्र को केयू परीक्षा शाखा के कर्मचारी की गलती की सजा भुगतनी पड़ रही है। दोनों विद्यार्थियों ने न्याय के लिए अब केयू वीसी कार्यालय के बाहर डेरा डाल दिया है। देखने लायक बात यह होगी कि क्या केयू प्रशासन अपनी गलती को स्वीकार कर विद्यार्थियों को दाखिला देता है या फिर दोनों विद्यार्थियों को न्याय के लिए इंतजार ही करना पड़ेगा।
केस स्टडी एक :
केयू के अंग्रेजी विभाग में एमफिल के लिए आवेदन करने वाली रितु ने बताया कि उसने 92 अंक प्राप्त किए। इसके बाद 28 अक्टूबर को काउंसलिंग में हस्ताक्षर करने थे। जिसमें वे अपनी घड़ी के हिसाब से ठीक 10 बजे पहुंच गए थे, लेकिन उनकी हाजिरी 10 मिनट लेट कहकर नहीं लगवाई गई। जिसके चलते उन्हें काउंसलिंग में शामिल नहीं होने दिया गया। छात्रा रितु ने कहा कि केयू प्रशासन खुद नियमों को प्रोस्पेक्टस में लिखकर खुद ही उनकी धज्जियां उड़ाने में जुटा है। यह पूरी तरह से अन्याय है, जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
केस स्टडी दो :
एमफिल इतिहास के लिए आवेदन करने वाले छात्र जसमेर सिंह ने बताया कि उसकी एमए इतिहास अंतिम वर्ष की परीक्षा के अंक परीक्षा शाखा के कर्मचारियों ने गलत लिखकर उन्हें दिए। जिसके आधार पर उसका दाखिला नहीं हो पाया। जसमेर ने बताया कि केयू कर्मचारियों की हड़ताल के कारण उसकी डीएमसी सही समय पर उसे नहीं मिली, जिसके चलते उसने गोपनीय परिणाम के लिए आवेदन किया। जिसमें 14 अक्टूबर को प्रशासन ने उसके 562 अंक लिखकर दिए गए। वहीं जब उसके पास डीएमसी आई तो उसमें उसके अंक 570 थे। दिलचस्प बात तो यह है कि डीएमसी 12 अक्टूबर को ही तैयार हो गई थी। इसके बावजूद उसे अंकों की गलत जानकारी दी गई। इन आठ अंकों की कमी के कारण उसका दाखिला नहीं हो पाया। जसमेर ने कहा कि यह पूरी तरह से अन्याय है कि गलती तो केयू प्रशासन के कर्मचारी करें और उसकी सजा उन्हें भुगतनी पड़े। इसे किसी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मिले न्याय :
छात्र संगठन जेएसओ के प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप कलतगडिय़ा व एसएफआई के राज्य अध्यक्ष शाहनवाज ने कहा कि इन दोनों ही मामलों में पूरी गलती केयू प्रशासन की है। लिहाजा अगर कार्रवाई होनी चाहिए तो केयू कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ होनी चाहिए। db
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