रोहतक : एक ओर तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और दूसरी ओर शिक्षा विभाग के एक फैसले के कारण करीब 5430 अध्यापकों के पास कोई काम नहीं है। जून में गर्मियों की छुट्टियों के दौरान इन अध्यापकों को मिडिल स्कूलों में हेडमास्टर के रूप में पदोन्नत किया गया था। लेकिन अब तक इनके पास न तो कोई काम है और न ही ये बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
पिछले चार महीने से यही कहा जा रहा है कि इन्हें वित्तीय और अन्य शक्तियां मिलने वाली हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अप्रैल में 5450 अध्यापकों को काउंसिलिंग के माध्यम से स्टेशन दे दिए गए थे। जून की छुट्टियों में इन्होंने कार्यभार ग्रहण किया था। विभाग ने इन्हें प्रशासनिक पद का दर्जा देते हुए इनके जिम्मे सप्ताह में 12 पीरियड का कार्यभार देने की बात कही थी।
लेकिन अब तक के बारे में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं आए हैं। ऐसे में न तो बच्चों को पढ़ा पा रहे हैं और न ही कोई प्रशासनिक काम इनके पास है।
रिपोर्ट मांगी है
शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में है। उन्होंने निदेशक से इसकी रिर्पोट मांगी है। इस बारे में जल्द ही दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएंगे।
प्रिंसिपलों से विवाद
जिन सीनियर सेकेंडरी या हाई स्कूलों में ये मिडिल हेडमास्टर तैनात हैं वहां तो स्थिति और भी गंभीर है। जिम्मेदारी को लेकर कई स्कूलों में तो इनका प्रिंसीपलों से विवाद हो चुका है। स्पष्ट दिशा-निर्देश न होने के कारण प्रिंसीपल इन्हें कोई जिम्मेदारी देने से कतरा रहे हैं। यहां तक कि कई स्कूलों में तो इनके बैठने की व्यवस्था भी नहीं है। अब इन्हें अघोषित ‘सरप्लस स्टॉफ’ में गिना जाने लगा है।
शिक्षक संघ ने जताया रोष
विभाग के इस फैसले पर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष वजीर सिंह ने कहा है कि वित्त विभाग मिडिल हेडमास्टरों को डीडी पावर देने की मंजूरी दे चुका है। एजी ने भी डीडी कोड जारी कर दिए हैं, लेकिन विभागीय अधिकारी पत्र जारी करने में देरी कर रहे हैं। उन्होंने इन हेडमास्टरों से अपील की है कि वे अधिकारों को लेकर विवाद में न उलझें। dt
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.