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Wednesday, 13 November 2013

बोर्ड ने स्कूलों को एसएमएस भेज मांगी मदद

** पांच दिन बाद भी मूल्यांकन नहीं
** प्राध्यापकों के विरोध का खामियाजा भुगत रहे विद्यार्थी
रेवाड़ी : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी के प्रथम सेमेस्टर परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू करने की निर्धारित तिथि बीतने के पांच दिन बाद भी प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है। विभिन्न केंद्रों में उत्तर पुस्तिकाएं बंद कमरे में धूल फांक रही हैं, लेकिन हसला और हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ से जुड़े शिक्षक मांग पूरी होने तक विरोध करने पर अड़े हुए हैं।
प्राध्यापकों के इस विरोध का खामियाजा प्रदेश के करीब दो लाख विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। इससे उनका परीक्षा परिणाम प्रभावित होने के साथ द्वितीय सेमेस्टर भी प्रभावित होगा। इस बीच बोर्ड ने अनुबंधित अध्यापकों और कुछ प्राइवेट स्कूलों के प्राध्यापकों से मूल्यांकन कराने का निर्णय लिया है, और उनको इस बावत एसएमएस भी भेज दिया है।
हसला ने पिछले साल भी किया विरोध: 
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ और हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन ने उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन का विरोध पहली बार नहीं किया है। इससे पहले भी प्रथम सेमेस्टर के दौरान उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन की भुगतान राशि को लेकर बहिष्कार किया था। करीब पंद्रह दिन के विरोध के बाद बोर्ड के अधिकारियों ने भुगतान राशि बढ़ाई। इस बार भुगतान का विवाद नहीं बल्कि वेतनमान विसंगति, पदोन्नति में भेदभाव तथा स्कूल से कॉलेज कैडर में पदोन्नति जैसी मांगों को लेकर है।
अनुबंधित अध्यापक भी उतरे विरोध में
हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ गुडग़ांव मंडल प्रधान नरेश यादव का कहना है कि प्राध्यापकों की मांगें जायज है, इसलिए उनके समर्थन में वे मूल्यांकन का बहिष्कार कर रहे हैं। राजेश कुमार, सत्येंद्र तिवाड़ी, कौशलचंद, अरविंद कुमार, रणजीत, भरत सिंह, रामसिंह, कैलाशचंद, मनोज, अशोक, मोहन, राजकपूर, सुनीता, वनीता आदि ने अपनी ड्यूटी का विरोध किया है।
बच्चे तो हमारे भी हैं लेकिन विरोध करना मजबूरी
हसला प्रांतीय उपप्रधान अभय सिंह, जिला प्रधान हरीश कुमार, हरियाणा विद्यालय अध्यापक प्रांतीय उपप्रधान महावीर सहित विभिन्न शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन में हो रही देरी से हमारे बच्चे भी प्रभावित होंगे लेकिन बार बार मांग करने के बावजूद सरकार और विभाग के अधिकारी केवल आश्वासन ही देते रहे। ऐसी स्थिति में विरोध करने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं रह जाता।
विरोध का तरीका ठीक नहीं
प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान सत्यवीर यादव का मानना है कि प्राध्यापकों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करना तो ठीक है लेकिन विरोध का तरीका व्यावहारिक नहीं है। इससे हम केवल बच्चों का नुकसान कर रहे हैं। विद्यार्थियों के हित में निजी स्कूल अपने प्राध्यापक जरूर सेवाएं दे सकते हैं लेकिन इसका स्थाई समाधान का रास्ता तो विभाग और सरकार को ही निकालना होगा। प्राध्यापकों को विरोध के रूप में काले बिल्ले लगाने, उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के समय नारेबाजी करने का रास्ता अपनाना चाहिए था।
कैसे करेंगे 315 प्राध्यापकों की कमी पूरी
हालांकि बोर्ड ने मूल्यांकन प्रक्रिया का विरोध कर रहे प्राध्यापकों का विकल्प के तौर पर अनुबंधित और अनुदान प्राप्त स्कूलों के प्राध्यापकों की ड्यूटी लगाई है लेकिन अभी तक 315 प्राध्यापकों की पूर्ति कैसे होगी यह संभव नहीं है। जिले में कुल छह अनुदान प्राप्त स्कूलों के साथ निजी मान्यता प्राप्त स्कूलों के प्राध्यापकों को ड्यूटी लगाई जानी है। इसके लिए शैक्षणिक योग्यता स्नातकोत्तर होने के साथ कम से कम संबंधित विषय में तीन साल का शैक्षणिक अनुभव होना चाहिए। निजी स्कूल संचालक अपने प्राध्यापकों की ड्यूटी अपने स्कूल का शैक्षणिक कार्य प्रभावित नहीं होने देंगे।
"प्राध्यापकों के उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन का बहिष्कार किए जाने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। सभी अनुदान प्राप्त स्कूलों के प्राध्यापकों के साथ अनुबंधित प्राध्यापकों की भी ड्यटी लगाई गई है। इसके अलावा मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के मुखियाओं को एसएमएस के माध्यम से कुछ प्राध्यापकों की मूल्यांकन के लिए ड्यूटी लगाने की सूचना दी जा चुकी है। जल्द ही मूल्यांकन प्रक्रिया शुरु हो जाएगी तथा 20-25 दिनों में यह काम पूरा हो जाएगा। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं।"--महेंद्रपाल सिंह, संयुक्त सचिव, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी।       db  

   




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