शिक्षा विभाग की विषय विशेष की शर्त से हजारों शिक्षक पदोन्नति से वंचित रह जाएंगे। हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ संबंधित सर्वकर्मचारी संघ ने इस शर्त को समाप्त करने की मांग की है। इस शर्त से साइंस संकाय के मास्टर्स तो प्राध्यापक बन ही नहीं सकेंगे।
मास्टर्स से प्राध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए शिक्षा विभाग ने आजकल केस मांग रखे हैं, लेकिन इसमें विषय विशेष की शर्त लागू करने से अनेक अध्यापक पदोन्नति से वंचित रह सकते हैं। अभी तक किसी भी विषय में मास्टर डिग्री पाने वाले शिक्षक उसी विषय में पदोन्नति के पात्र माने जाते थे, लेकिन 2012 में शिक्षा विभाग ने नियमों में परिवर्तन कर विषय विशेष की शर्त लागू कर दी है। इससे उन अध्यापकों के भविष्य पर अंकुश लग गया जिन्होंने दूसरे विषय से पीजी कर रखी थी। अब केवल वे मास्टर्स ही प्राध्यापक बन पाएंगे जिन्होंने उसी विषय में मास्टर डिग्री कर रखी है जिसे वे पढ़ा रहे हैं।
साइंस मास्टर्स प्रभावित:
शिक्षा विभाग की इस शर्त से सबसे अधिक साइंस संकाय के अध्यापक प्रभावित हो रहे हैं। साइंस पढ़ा रहे अध्यापकों की समस्या ये है कि साइंस संकाय से जुड़े विषय केमिस्ट्री व फिजिक्स में प्राइवेट तौर पर मास्टर्स डिग्री हासिल नहीं की जा सकती। अमूमन सभी शिक्षक उन विषयों में ही मास्टर्स डिग्री करते है जिनकी प्रेक्टिकल कक्षाएं न लगती हो। साइंस संकाय के अधिकतर अध्यापकों ने भी कला संकाय या गणित से मास्टर्स डिग्री कर रखी है, लेकिन नए नियम लागू हो जाने से उनका प्राध्यापक बनने का सपना अधूरा रह सकता है।
नए अध्यापकों पर लागू हो नियम
हरियाणा अध्यापक संघ के प्रांतीय सचिव रविंद्र राणा, जिला प्रधान प्रदीप सरीन, हरपाल सिंह बैंस व जयदेव आर्य ने कहा कि ये नियम नए अध्यापकों पर लागू हो सकते हैं, लेकिन उन अध्यापकों पर लागू नहीं होने चाहिए जिन्होंने 2012 से पहले मास्टर डिग्री अन्य विषयों में कर रखी है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में संघ का एक शिष्टमंडल डायरेक्टर सीनियर सेकेंडरी से मिला था। यदि उनकी मांग न मानी गई तो संघ विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाने पर बाध्य होगा। जिसकी जिम्मेवारी सरकार व विभाग की होगी।
रुचि दिखाने का मौका छीना
एक तरफ तो विभाग प्रतिभावान शिक्षकों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन शिक्षा की बेहतरी के लिए करने की बात करता है। वहीं दूसरी ओर उन अध्यापकों पर रोक लगा रहा है जो विषय विशेष को छोड़ कर दूसरे विषय में अपनी प्रतिभा दिखाना चाहते हैं। हो सकता है कि कुछ अध्यापक बाई च्वाइस नहीं बाई चांस विषय विशेष के अध्यापक बने हो। उन्होंने अपनी योग्यता का विस्तार कर अपनी मनपसंद का विषय पढ़ाने के लिए दूसरे विषय में पीजी की हो, लेकिन विभाग के नए फरमान लागू होने से उनका अपनी पसंद का विषय पढ़ाने का अवसर मिलता नजर नहीं आ रहा है। dbymn bilaspur
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