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Wednesday, 19 March 2014

शिक्षक विरोधी नीतियां वापस लें, वरना आंदोलन

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने सरकार पर शिक्षा विभाग को सिकोडऩे का गंभीर आरोप मढ़ते हुए चेतावनी दी कि सरकार अपनी उक्त नीतियों को तत्काल वापस ले अन्यथा संघ को मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।
उपरोक्त बयान संयुक्त रूप से जारी करते हुए संघ के पूर्व प्रदेश सचिव कृष्ण कुमार निर्माण, जिला प्रधान बलराज सिंह, नरेंद्र चोपड़ा ने कहा कि सरकार स्कूलों के पुनर्गठन के नाम पर प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने की जो कार्रवाई कर रही है, वह निहायत ही गलत है और शिक्षा अधिकार कानून का भी उल्लंघन है, वहीं पीजीटी लेक्चरर्स से छठी से 10वीं कक्षाओं का शिक्षण कार्य करवाना भी शिक्षा विभाग को सिकोडऩे की साजिश का हिस्सा है, क्योंकि ऐसा करने से जेबीटी व मास्टजऱ्, सी एंड वी के पदों पर गहरा असर पड़ेगा और भारी संख्या में मास्टरों के सरप्लस होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि सरकार एनजीओ व तथाकथित कंपनियों के माध्यम से जन शिक्षा के ढांचे को प्राइवेट ठेकेदारों, पूंजीपतियों के हवाले करने की कुचेष्टा न करें, क्योंकि ऐसा करने से शिक्षित बेरोजगारों की मानसिक व आर्थिक शोषण होता है और कच्चे कर्मचारियों की फौज बढ़ती है व शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। 23 मार्च को इन्हीं मसलों पर जिलास्तरीय जन शिक्षा सम्मेलन का आयोजन होगा।
ये हैं मुख्य मांगें : 
उन्होंने बताया कि अध्यापक संघ मांग करता है कि जेबीटी शिक्षकों के पदोन्नति चैनल खोले जाएं, पीजीटी की पदोन्नति में से विषय अनिवार्यता व बीए की शर्त हटाई जाए, जेबीटी की भर्ती सूची जारी की जाए व टीजीटी के लगभग 15000 से अधिक पदों की स्थाई भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएं, पात्रता परीक्षा (एचटीईटी) बंद की जाए, स्कूलों का बुनियादी ढांचा सुधारा जाए।                                              dtkrnl

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