एससीईआरटी की निदेशक ने छठीं से 12वीं तक के स्कूलों में पढ़ा रहे जेबीटी टीचर्स की नियुक्ति को नियमों के खिलाफ बताया है। साथ ही उन्होंने स्कूल शिक्षा के प्रधान सचिव और मौलिक शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर जेबीटी टीचरों के पदों को समाप्त करने का सुझाव दिया है। हालांकि उनका सुझाव माना जाएगा या नहीं इस बारे में अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
इस तरह हुई ये सिफारिश
दरअसल रोहतक के वैश्य गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पूर्व प्रबंधक ने शिक्षा विभाग को शिकायत की थी कि एक जेबीटी टीचर वैश्य प्राइमरी स्कूल रोहतक में कार्यरत थी, लेकिन उनके पति जो कि शिक्षा विभाग में ही कार्यरत है, ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर पहले उन्हें वैश्य गल्र्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में नियुक्त करवाया। इतना ही नहीं नियमों को ताक पर रखकर 2012 में उनका गुडग़ांव के माडूमल कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में ट्रांसफर भी करवा लिया। इस शिकायत पर विभाग की ओर से एससीईआरटी की निदेशक को संबंधित मामले की जांच का जिम्मा देकर रिपोर्ट मांगी थी। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने माना की जेबीटी की दोनों नियुक्तियां नियमों की अनदेखी करके की गई थी और पहले वाली नियुक्ति को ही सही ठहराया। इस रिपोर्ट में उन्होंने डीईओ गुडग़ांव पर भी इस मामले में विभाग पर वित्तीय बोझ बढ़ाने को अनुचित बताया है। हालांकि हरियाणा नियमावली-2003 में ऐसा कोई दिशा-निर्देश दर्ज नहीं कि अलग अलग सोसाइटियों या प्रबंधक समितियों द्वारा चलाए जा रहे सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नियुक्ति के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।
हटाने का सुझाव दिया है : स्नेहलता
एससीईआरटी की निदेशक स्नेहलता का कहना है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे किसी भी प्राइवेट में जहां छठी से 12वीं तक की कक्षाएं लगाई जा रही हैं, वहां कोई भी जेबीटी टीचर का पद स्वीकृत नहीं है। इसलिए इन पदों को समाप्त किया जाना उचित है। इसकी सिफारिश मैंने सरकार से कर दी है। अब उन्हें ही इस मामले में कार्रवाई करनी है। dbrtk
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