.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Monday, 24 March 2014

बीसीआई की इंस्पेक्शन टीम पर टिका लॉ विभाग के 600 छात्रों का भविष्य

** चार साल बाद सीडीएलयू आएगी बार कौंसिल ऑफ इंडिया की टीम 
** लॉ विभाग की मान्यता के संबंध में लेगी फैसला : छात्रों ने दौरा करने का किया था अनुरोध  
सिरसा : सीडीएलयू के लॉ विभाग को अस्थाई मान्यता मिलेगी या नहीं, इसका फैसला 28 या 29 मार्च को हो सकता है। लॉ विभाग के लगभग 600 छात्रों का भविष्य अब टीम की इंस्पेक्शन पर निर्भर है। बार कौंसिल ऑफ इंडिया की टीम इन दो दिनों के बीच विश्वविद्यालय में निरीक्षण के लिए आ सकती है। कौंसिल ने दौरे के लिए हरी झंडी दे दी है। ऐसे में एक बार फिर से अस्थाई मान्यता मिल सकती है। जिससे कि छात्रों को कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है। 
चार साल बाद विश्वविद्यालय में बार कौंसिल ऑफ इंडिया की टीम आ रही है जो कि लॉ विभाग की मान्यता के संबंध में फैसला लेगी। विश्वविद्यालय और बीसीआई के बीच पिछले कुछ दिनों से इंस्पेक्शन के लिए पत्राचार चल रहा था। सीडीएलयू ने पिछले दिनों छात्रों की भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन का हवाला देकर पहले लॉ विभाग का दौरा करने का अनुरोध किया। ऐसे में इंस्पेक्शन टीम ने हामी भर दी। टीम ने दो तिथियां दी है और दोनों में से वह किसी भी दिन आ सकती है। 
भर्तियां रद करना बन सकता है अड़चन : 
सीडीएलयू ने कुछ दिनों पहले विभाग के कुल 6 पदों (एसोसिएट और सहायक प्रोफेसर) के लिए विज्ञापन निकाला था। मगर चुनावी आचार संहिता के दायरे में आने के कारण बाद में सीडीएलयू ने इसे रद कर दिया गया था। ऐसे में भर्तियां रद करने का मामला फिर से अस्थाई मान्यता मिलने के रास्ते में अड़चन बन सकता है। 
कितनी हैं सीटें 
विश्वविद्यालय में एलएलबी के तीन वर्षीय पाठयक्रम में 80 सीटें है। पांच वर्षीय पाठयक्रम में 60 और एलएलएम में लगभग 30 सीटें है। 
ये हैं नियम 
नियमों के अनुसार विभाग में दस रेगुलर स्टाफ होना चाहिए। लेकिन विभाग में केवल चार ही रेगुलर स्टॉफ है। लॉ विभाग की अपनी अलग इमारत होनी चाहिए। लेकिन दस सालों में सीडीएलयू लॉ विभाग की इमारत नहीं बना सका। 
बीसीआई ने बनाया स्थाई की बजाए अस्थाई मान्यता देने का नियम 
"बीसीआई ने 28 व 29 मार्च को निरीक्षण के लिए लैटर भेजा है। टीम दोनों तिथियों में से किसी भी दिन आ सकती है। बीसीआई ने अब स्थाई की बजाए अस्थाई मान्यता देने का नियम बना दिया है।"-- डा. जेएस जाखड़, एचओडी, लॉ विभाग। 
यह है मामला 
2004 में बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने पांच साल के लिए लॉ विभाग को अस्थाई मान्यता दी थी। ताकि सीडीएलयू अपने नियमों को पूरा कर सकें। नियमों को पूरा न करने पर कौंसिल ने 2009 में निरीक्षण कर मान्यता रद्द कर दी और विश्वविद्यालय को दाखिले बंद करने का आदेश दिया। विश्वविद्यालय ने छात्रों को एडमिशन जारी रखा। तब से अब तक लगभग 640 छात्रों को एडमिशन दिया जा चुका। सात मार्च को लॉ विभाग के छात्रों ने मान्यता के लिए कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया। छात्रों और फैकल्टी में कक्षाओं को लेकर गहमागहमी भी हुई। छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। इस दौरान दो छात्रों का स्वास्थ्य भी बिगड़ा। एचओडी डा. जे एस जाखड़ ने आश्वासन दिया कि यदि 31 मार्च तक टीम ने इंस्पेक्शन नहीं किया तो वे छात्रों के साथ विरोध प्रदर्शन में बैठ जाएंगे। तब जाकर छात्रों ने अपना अनशन खत्म किया।                                                   db

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.