सोनीपत : इसे इत्तेफाक कहें या नियुक्ति प्रक्रिया में घालमेल। जो उम्मीदवार लिखित टेस्ट में शत प्रतिशत अंक लेकर टॉपर है और अनुभव में भी सबसे आगे है, बावजूद इस सबके उसे संबंधित पद के लिए उपयुक्त नहीं समझा गया। वहीं दूसरी ओर जो टेस्ट से लेकर अनुभव में उससे काफी पीछे है उसकी नियुक्ति हो जाती है, क्योंकि उसे साक्षात्कार का टॉपर बना दिया गया। वह भी किसी साधारण पद के लिए नहीं बल्कि गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार में उप कुलसचिव के पद के लिए। इस हालत को देखते हुए सीधे तौर पर नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हंैं। इस पूरे प्रकरण का खुलासा सूचना के अधिकार कानून से मिली जानकारी से हुआ है। जानकारी के अनुसार विवि में सहायक कुलसचिव पद की नियुक्ति वर्ष दिसंबर 2013 में संचालित की गई थी। इसमें 15 लोग शामिल हुए थे।
"जिस उम्मीदवार ने परीक्षा एवं अनुभव में टॉप किया है, इसका अर्थ है कि वह कमजोर तो नहीं है, ऐसे में पहला हक तो उसी का बनता है।"--डॉ. आरके अरोड़ा, रजिस्ट्रार, दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल
दावा मजबूत इनका
आरटीआई से मिली जानकारी से तो सहायक कुलसचिव पद के लिए किशन कुमार का दावा अधिक मजबूत दिखता है। इसका कारण यह भी है क्योंकि अनुभव में जहां उन्हें शत प्रतिशत अंक (30) मिले हैं तो वहीं नियुक्ति के लिए परीक्षा में भी उन्होंने सर्वाधिक 30 अंक लेते हुए टॉप किया था।
कामयाबी मिली इन्हें
शिव दयाल रंगा को विवि की ओर से सहायक कुलसचिव नियुक्तकिया गया है। जबकि टेस्ट में जहां उनके 25 अंक आए थे तो वहीं अनुभव में वे महज 20 ही अंक अपने खाते में जुटा सके। लेकिन साक्षात्कार में उन्होंने कमाल ही कर दिया। साक्षात्कार लेने वाली टीम ने उन्हें सर्वाधिक 35 टीम दे दिए। जिससे 80 अंकों के साथ नियुक्ति में उन्होंने बाजी मार ली।
कुलपति व्यस्त, नहीं मिला जवाब
इस संदर्भ में ६ बार विवि के कुलपति एमएल रंगा के कार्यालय एवं निवास पर उनका स्पष्टीकरण जानने के लिए फोन किया, लेकिन हर बार उनके व्यस्त होने की बात कही गई। हालांकि बता दिया गया था कि भास्कर इस मुद्दे पर उनका पक्ष लेना चाहता है। db
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