यमुनानगर : शिक्षा विभाग के तीसरी से पांचवीं तक की परीक्षा लेने के आदेशों को लेकर अध्यापक संघ ही दो खेमों में बंट गया है। एक खेमा इसको तुगलकी फरमान बताकर वापस लेने की मांग कर रहा है, वहीं दूसरा खेमा इसका स्वागत कर रहा है।
हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ (सम्बंधित हरियाणा कर्मचारी महासंघ) ने शिक्षा विभाग से आदेशों को वापस लेने की मांग की है। संघ के जिला प्रधान प्रदीप सरीन व जिला सचिव जयदेव आर्य का कहना है कि हरियाणा शिक्षा विभाग शिक्षा को प्रयोगशाला बना कर काम कर रहा है जिसका हम विरोध करते हैं । संघ के नेताओं ने कहा कि जहां ये आसमानी ख्वाब लेने वाले अधिकारी जमीनी हकीकतों से दूर नित नये प्रयोग करके अध्यापकों की सब्र की परीक्षा लेते हैं और बच्चों के मन मे खौफ पैदा करते हैं। अध्यापक परीक्षा लेने के विरुद्ध नहीं हैं लेकिन परीक्षा ली जायेगी या नहीं यह सत्रारम्भ में तय किया जाता है न कि रातों रात निर्णय लेकर थोपा जाता है।
वरिष्ठ उपप्रधान हरपाल बैंस ने कहा कि यदि विभाग परीक्षा प्रणाली मे कोई बदलाव लाना चाहता है तो उसे शिक्षा के नये स्तर से लागू करे व प्रश्नपत्र ब्ल्यूप्रिंट और उसके नमूने भी जारी करे ताकि अध्यापक वर्षभर बच्चों को उसी अनुसार तैयारी करवा कर बालकों को परीक्षा दिलवा सके।
संघ के नेताओं ने अधिकारियों को सचेत किया कि वो प्राथमिक स्तर की परीक्षा प्राथमिक अध्यापकों के निर्देशन में ही संपन्न करवाएं और एक दिन में एक से अधिक विषयों की परीक्षा नहीं लें। बोर्ड के अन्य परीक्षाओं के नियमानुसार पेपर का समय तीन घंटे का हो और ड्यूटियां भी प्राथमिक शिक्षों की ही लगाई जाए अन्यथा शिक्षक इन परीक्षाओं का व विभाग के फरमानों का विरोध करेंगे।
उधर, हरियाणा अनुसूचित जाति राजकीय अध्यापक संघ की खंड कार्यकारिणी बिलासपुर की एक बैठक स्थानीय विश्राम गृह में हुई। बैठक की अध्यक्षता खंड प्रधान निर्मल सिंह ने की। बैठक में शिक्षा विभाग के द्वारा प्राथमिक स्तर की कक्षाओं तीसरी व पांचवीं की परीक्षा लेने के निर्णय का स्वागत किया है। खंड सचिव प्रवीन कुमार ने कहा कि सरकार व विभाग ने परीक्षा प्रणाली शुरू करके एक अच्छा कदम उठाया है। इस निर्णय का सीधा लाभ बच्चों को अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके होगा। dt
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