** याची ने कहा, 6 सितंबर को दी थी एनसीईआरटी को जानकारी
** पीयू के बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर ने उठाया था मामला
चंडीगढ़ : नेशनल काउंसिल ऑफ एजूकेशन एंड रिसर्च ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की ग्याहरवीं और वाहरवीं कक्षा की बायोलॉजी की किताब में अनेक त्रुिटयों के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एनसीईआरटी के रवैये पर आपत्ति जताते हुए उसे एक महीने में गलतियां सुधारने के आदेश जारी किए हैं। वीरवार को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने एनसीईआरटी के सुस्त रवैये पर हैरानी व्यक्त करते हुए उसके काउंसिल को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने इसके साथ ही गिरते शिक्षा स्तर पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एनसीआरटी के तीन महीने की मोहलत देने के आग्रह को भी ठुकराते हुए कहा कि मामला गंभीर है, लिहाजा एक महीने में यह गलतियां दूर करके याचिकाकर्ता का सूचित किया जाए, ताकि हाईकोर्ट को इस संबंध में जानकारी मिल सके।
यह मामला पंजाब युनिवर्सिटी के बायोलॉजी विभाग के प्रोफसर डॉ. अरविंद गोयल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर यह मामला उठाया था। याचिका में दोनाें कक्षाआें की बायोलॉजी की किताबाें में गलतियां भी स्लग्न की गईं। याचिका में कहा गया कि उन्होंने दोनाें किताबों का गौर से अध्ययन कर इसकी जानकारी 6 सितंबर 2013 को एनसीईआरटी के नोटिस में ला दी थी, बावजूद इसके देशभर के एनसीईआरटी से मान्यता प्राप्त स्कूलाें में इन किताबों को पढ़ाया जा रहा है।
याचिका में कहा गया कि पहली शिकायत के बाद उन्होंने 14 नवंबर 2013 को रिप्रेजेंटेशन दी, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। याचिका में समाचार पत्रों की वो प्रतियां भी स्लग्न की गई, जिनमें किताबाें की त्रुटियाें को उठाया गया है। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनसीईआरटी को छह महीने पहले इन गलतियों से अवगत करवा दिया था, फिर भी काउंसिल तीन महीने का और समय मांग रही हैं।
गलती सुधार याचिकाकर्ता को दे जानकारी
वीरवार को मामले की सुनवाई के दौरान एनसीईआरटी की वकील ने अदालत से तीन महीने का समय मांगते हुए दलील दी कि मौजूदा शैक्षिक सत्र लगभग पूरा होने वाला है। फिर भी, एनसीईआरटी इस बात को यकीनी बनाएगी कि कम से कम आगामी पीएमटी परीक्षाओं तक सुधार कर लिया जाए और अगले अकादमिक सत्र के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा त्रुटियां ध्यान में लाए जाने के बाद एनसीईआरटी के पास लगभग छह महीने का पर्याप्त समय था, जिसमें त्रुटियां सुधारी जा सकती थीं, लेकिन अभी एनसीईआरटी दो-तीन महीने का समय सुधार के लिए मांग रही है। जरूरी यह है कि आज से अगले एक महीने के भीतर त्रुटियां सुधार कर याचिकाकर्ता को सूचना दी जाए। au
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