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Tuesday, 11 March 2014

शिक्षकों को अखरे शिक्षा विभाग के ‘फरमान’

हरियाणा शिक्षा विभाग के तुगलकी फरमान से शिक्षकों में गहरा रोष है। शिक्षक संगठनों का आरोप है कि विभाग के उच्च अधिकारियों ने शिक्षा संस्थाओं को प्रयोगशाला बना दिया है जिसमें हर रोज नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने एक आदेश जारी कर प्रदेश भर में गत 7 मार्च से प्रारंभ हुई हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड की मैट्रिक व 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में लेक्चरर्स तथा वरिष्ठ अध्यापकों की ड्यूटी लगाने पर प्रतिबंध लगा दिए है। महानिदेशक ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि किसी परीक्षा केंद्र पर स्टाफ की कमी हो तो केवल जेबीटी शिक्षकों से परीक्षा ड्यूटी ली जाएं।
दूसरी ओर परीक्षा ड्यूटी कर रहे केद्र अधीक्षकों का आरोप है कि बोर्ड व शिक्षा विभाग ने ड्यूटी के लिए समुचित स्टाफ की व्यवस्था नहीं की है। परीक्षा संचालन के लिए उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। प्राइवेट स्कूल संचालक अपने शिक्षकों को बोर्ड ड्यूटी के लिए कार्यभार मुक्त नहीं करते हैं।
दूसरी ओर विभाग के आदेश से लेक्चरर्स व वरिष्ठ अध्यापक ड्यूटी देने से कतरा रहे है। यमुनानगर के कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थियों की संख्या 400 तक है, जिसके मुताबिक ऐसे केंद्रों पर 15 शिक्षक चाहिए लेकिन उपलब्ध कराया गया स्टाफ केवल 9 अध्यापकों का ही है।
हसला नेता व पूर्व राज्य उपप्रधान पवन बटार, जिला प्रधान वेदप्रकाश व रमेश कांबोज का कहना है कि विभाग परीक्षा को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है तभी ऐसे तुगलकी फरमान जारी कर रहा है।
इस बीच प्राथमिक शिक्षा विभाग ने अचानक कुंभकरणी नींद से जागकर अपने एक आदेश में कक्षा तीसरी व पांचवीं की परीक्षा 25 , 26 व 28 मार्च को कराने का फैसला लिया है। विभाग के आदेशानुसार इस परीक्षा में केवल लेक्चरर्स व वरिष्ठ अध्यापकों की ही ड्यूटी लगाई गई है।
उक्त परीक्षा से प्राथमिक कक्षाओं को पढ़ाने वाले जेबीटी शिक्षकों को दूर रखा गया है। हरियाणा प्राथमिक शिक्षक संघ व अन्य संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है।                                                 dtymnr

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