सरकारी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की रविवार को शुरुआत होगी। यह अभियान 26 मार्च तक चलेगा। हालांकि इसके लिए शिक्षा विभाग की तरफ से पूरी तैयारी होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि इस बार शिक्षक विभाग के इस अभियान में पूरा सहयोग नहीं दे पाएंगे। क्योंकि शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में व्यस्त रहेंगे।
अभी तक चुनावों के लिए जिन कर्मचारियों की ड्यूटियां लगाई गई है, उनमें से 60 प्रतिशत शिक्षा विभाग से हैं और इनमें अधिकांश प्राध्यापक, अध्यापक शामिल हैं। जबकि शिक्षा विभाग में पहले से ही शिक्षकों की कमी है। दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों के मुखियाओं को 23 मार्च को ही सभी नॉन बोर्ड कक्षाओं का परीक्षा परिणाम घोषित करने व इसी दिन से ए सत्र के लिए शुरू होने वाला प्रवेश शुरू करने के आदेश जारी किए है। जबकि अध्यापक 10 अप्रैल तक चुनावी कार्यक्रमों में व्यस्त रहेंगे। अब सवाल उठता है कि क्या अध्यापक बच्चों को अपने स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए मोटिवेट कर पाएंगे।
"सरकारी स्कूलों में आज प्रवेश उत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए सभी स्कूल इंचार्ज व मुखियाओं की बैठक लेकर आवश्यक दिशा निर्देश जा चुके हैं। कुछ अध्यापकों की चुनावी ड्यूटियां लगेंगी, लेकिन इससे प्रवेश कार्यक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।"--रणधीर सिंह बलोदा, डीईईओ नारनौल।
निजी विद्यालयों को होगा फायदा
शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षकों की चुनावी ड्यूटियों में व्यस्तता के चलते जहां सरकारी स्कूलों में नियमित पढ़ाई नहीं होगी, वहीं अध्यापक बच्चों के प्रवेश पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे। इसका सबसे अधिक फायदा होगा, निजी स्कूल संचालकों को। क्योंकि प्राइवेट शिक्षण संस्थान वाले न केवल बच्चों के लिए घर-घर दस्तक दे रहें हैं, अपितु अनेक प्रकार की योजनाओं के माध्यम से भी उन्हें आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में अभिभावक बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूलों की बजाए निजी स्कूलों में करवाने के लिए मजबूर होंगे। dbnrnl
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