हिसार : राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग ने विद्यालयों को महज एक प्रयोगशाला बनाकर छोड़ दिया है। एक ओर जहां इस प्रयोगशाला के घातक व असफल प्रयोगों का दुष्परिणाम प्रदेश के भावी भविष्य को आने वाले समय में भुगतने पड़ेंगे, वहीं वर्तमान में प्राथमिक शिक्षकों के मान-सम्मान पर भी चोट की जा रही है।
प्राथमिक शिक्षक संघ के पूर्व महासचिव एवं शिक्षक नेता सुनील मान ने बताया कि इस बार नए प्रयोग के तौर पर शिक्षा विभाग ने तीसरी व पांचवीं कक्षा का मूल्यांकन कार्य पीजीटी द्वारा कराने के आदेश दिए हैं। जिससे सभी प्राथमिक शिक्षकों में भारी रोष है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रधान प्रदीप कौर के नेतृत्व में बृहस्पतिवार को डिप्टी डीइओ रणसिंह सैनी से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपते हुए इस तुगलकी फरमान को तुरंत वापस लेने की मांग की। शिक्षक नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर इस आदेश को वापस नहीं लिया गया तो 24 मार्च को जिले के सभी प्राथमिक शिक्षक जिला स्तर पर धरना देते हुए विरोध प्रदर्शन करेंगे।
जिला प्रधान प्रदीप कौर ने कहा कि विभाग ने सरकारी स्कूलों में किताबें तो नवंबर महीने में भेजी थी, जबकि अब मूल्यांकन वर्ष भर का कराया जा रहा है। वहीं पीजीटी अपने विषय का ज्ञाता तो हो सकता है, लेकिन बाल मनोविज्ञान के बारे में पीजीटी ट्रेंड नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की नीतियों से सरकार व विभाग शिक्षक समुदाय को आपस में लड़ाकर शिक्षा व्यवस्था को निजी हाथों सौंपने की तैयारी में है। जिसे प्राथमिक शिक्षक संघ किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा। dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.