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Saturday, 10 May 2014

400 स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी

** नेबरहुड स्कूल खुले नहीं, 200 स्कूल हो चुके बंद
चंडीगढ़  : शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बावजूद प्रदेश में स्कूल नहीं जा पाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। शिक्षा विभाग नए स्कूल खोलने के बजाय अब तक करीब 200 स्कूल बंद कर चुका है और 400 स्कूलों को दूसरों में मर्ज करने की तैयारी है। इन स्कूलों में कम छात्र संख्या का हवाला दिया जा रहा है। नतीजतन नेबरहुड स्कूल खोलने की योजना पर असर पड़ रहा है।
प्रदेश में 6 से 14 साल के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए शिक्षा के अधिकार कानून को 1 अप्रैल 2011 से लागू किया जा चुका है। इस अधिनियम द्वारा सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों, शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों के लिए अनेक मानक तैयार किए गए हैं। इन पर स्वयं शिक्षा विभाग खरा नहीं उतर रहा, जिसका नतीजा यह हो रहा कि प्रदेश में शिक्षा के अधिकार कानून से जरूरतमंद बच्चे लाभान्वित नहीं हो रहे और शिक्षक प्रभावित होते जा रहे हैं। शिक्षा के अधिकार कानून के अध्याय 12-ए के मुताबिक 6 से 14 साल के बच्चों को नेबरहुड स्कूलों की आवश्यकता है, जिसमें प्राथमिक स्कूल एक किलोमीटर के दायरे में और अपर प्राथमिक विद्यालय तीन किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध कराने हैं। लेकिन नए स्कूल बनाने की बजाय शिक्षा विभाग ने वर्ष 2013-14 और 2014-15 में अब तक करीब 200 स्कूलों को छात्र संख्या का हवाला देकर बंद कर दिया है। इन स्कूलों में 20 से कम छात्र संख्या होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन आरटीइ के अनुसार स्कूलों में छात्र संख्या कितनी भी हो, स्कूल उपलब्ध रहना चाहिए। शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार लगभग 400 स्कूलों को दूसरे स्कूलों में मर्ज करने की तैयारी है, जिससे नेबरहुड स्कूल खोलने की प्रक्रिया पर पूरी तरह से विराम लगने की आशंका पैदा हो गई है। यह स्कूल ऐसे हैं, जो एक ही गांव में दो या अधिक हैं। इन स्कूलों में भी छात्र संख्या कम होने का हवाला दिया जा रहा है, जबकि मर्ज किए जाने वाले स्कूलों में छात्र संख्या 40 से 200 तक भी है। प्रदेश में 400 के लगभग एकल प्राथमिक शिक्षक स्कूल हैं पर इनमें छात्र-शिक्षक अनुपात (1:30) एक्ट के अनुसार नहीं है। शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लेना भी अभी बंद नहीं हुआ है। 2011-12 की बात करें तो प्रदेश में 6 से 14 वर्ष के बच्चों की कुल संख्या 4647445 है, जिसमें से कुल 3724481 बच्चें स्कूलों में पढ़ रहे हैं। करीब 19 प्रतिशत बच्चे अब भी स्कूलों से बाहर है। चाहे वे ड्राप आउट हों या नान-स्टार्टर।
सुप्रीम कोर्ट में एक जुलाई तक जवाब देगा हरियाणा 
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव दीपक गोस्वामी के अनुसार अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने सुप्रीम कोर्ट में एक पीआइएल दायर की है, जिसमें कक्षा एक से पांच तक के बच्चों, शिक्षकों और स्कूलों की व्यथा का जिक्र है। इस एक्ट के उल्लंघन के बारे में भी याचिका में बताया गया है। 11 अप्रैल 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और राज्य के मुख्य सचिव को एक जुलाई तक स्पष्टीकरण देने का समय दिया है। संघ के अध्यक्ष विनोद ठाकरान के अनुसार प्राथमिक शिक्षक संघ बच्चों के उत्थान और एक्ट को सही रूप से लागू कराने के लिए किसी भी स्तर के आंदोलन को तैयार है।                      dj

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