सूबे का शिक्षा मुख्यालय ‘शिक्षा सदन’ काम की कछुआ चाल और ‘अफसरशाही’ के लिए बदनाम हो चुका है.। शिक्षा सदन में आने वाले अच्छे अफसरों को जब हकीकत पता लगती है, तो यहां से जल्द-जल्द निकलने की कवायद में जुट जाते हैें। इसीलिए यहां साल-दर साल अफसरों की कमी बनी रहती है। अब ऐसे माहौल में ‘मंत्री’ और मुख्यमंत्री भी क्या करें? इन दिनों यहां धरने के लिए तीन चार स्थानों पर खुले आसमान के नीचे भावी पीजीटी शिक्षक शिक्षिकाएं धरना देने बैठी हुई हैं.। शनिवार को उन्हें 20 दिन हो चुके हैं, यहां आने जाने वाला हर व्यक्ति इनकी व्यथा सुनने के बाद दुखी मन से सरकार को कोसता हुआ आगे बढ़ जाता है.। शिक्षक धरना इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि हरियाणा का स्कूल टीचर भर्ती बोर्ड प्रक्रिया पूर्ण कर रिजल्ट आउट कर चुका है.। रिजल्ट आने के साथ ही इन लोगों ने अपनी प्राइवेट नौकरियों को अलविदा बोल दिया और लोगों को खूब पार्टियां भी दीं.। जिसके बाद इनके दुख के दिनों की शुरुआत हो गई-‘ना तो खुदा ही मिला, ना बिसाले सनम.।’ सारा कुछ हो जाने के बावूजद अभी तक अफसर जांच पड़ताल के नाम पर इन्हें चक्कर लगवा चुके हैं.। परेशान शिक्षक अब यहां से घर लौटना नहीं चाहते, कईं शिक्षक तो बातचीत के दौरान फूट-फूटकर रोने लगते हैं.। अब साहब, सरकार, टीचर भर्ती बोर्ड सभी अपना काम कर चुके लेकिन अफसरशाही तो अफसरशाही ठहरी.!! अब देखना यह है कि समस्या का हल निकलने में कितने महीनें और लगते हैं?? hb
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