कैथल : शिक्षा विभाग कोई न कोई फरमान जारी करके हमेशा सुर्खियों में रहता है। पूरे शैक्षणिक सत्र में कभी लर्निग लेवल असेसमैंट तो कभी अध्यापकों के ट्रेनिंग नीड असेसमैंट के फरमान जारी करना, कभी परीक्षा बंद करना तो कभी हर मास की परीक्षा लेने जैसे आदेश जारी करना।
अब सत्र के अंत में वार्षिक परीक्षाओं के शुरू होने से 2 दिन पहले विभाग ने नया फरमान जारी करके छात्रों व अध्यापकों को परेशानी में डाल दिया है, जिसमें कक्षा एक से पांच के विद्यार्थियों की परीक्षा उनके अध्यापकों द्वारा न लेकर अन्य स्कूलों के अध्यापकों द्वारा ली जानी है। कक्षा 6 से 8 के विद्यार्थियों को दूसरे सेमेस्टर के साथ ही पहले सेमेस्टर से भी परीक्षा देनी पड़ेगी। इस फरमान से अध्यापक हैरान हैं कि कक्षा एक से पांच के विद्यार्थियों के लिए दूसरे स्कूलों से अध्यापक लगाने की क्या आवश्यकता पड़ गई। कक्षा एक से पांच के विद्यार्थियों के मनोविज्ञान को देखते हुए विभाग विद्यार्थियों को क्या सबक सिखाना चाहता है।
कक्षा 6 से 8 के विद्यार्थियों ने प्रथम सेमेस्टर को सितम्बर मास में पास करने के बाद उन पुस्तकों को दोबारा देखा भी नहीं है और यह भी संभव है कि विद्यार्थियों के पास वे पुस्तकें उपलब्ध भी न हो तो आखिर विद्यार्थी किस प्र्रकार प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा इस समय दे सकते हैं।
विभाग की डायरी में नहीं है परीक्षा लेने की बात
विभाग द्वारा पिछले वर्ष शैक्षणिक सत्र के आरंभ में जारी अध्यापक डायरी में पूरे वर्ष स्कूलों में होने वाले सभी कार्यक्रमों को उल्लेख किया था जिनमें छुट्टियों का वर्णन, शिक्षण कार्य दिवस, परीक्षाओं के बारे जानकारी, खेलों का शैड्यूल शामिल होता है। अध्यापक डायरी तथा वार्षिक कैलेंडर में न तो वर्ष के अंत में पूरे पाठ्यक्रम से परीक्षा लेने का जिक्र है और न ही अध्यापकों को परीक्षाओं के दिनों में पूरे वर्ष पढ़ाए बच्चों को छोड़कर दूसरे स्कूलों में जाकर परीक्षा लेने की बात कही गई है।
क्या कहता है प्राथमिक शिक्षक संघ
हरियाणा प्राथमिक शिक्षक संघ के वरिष्ठ नेता रोशन लाल पंवार का कहना है कि विभागा द्वारा प्राथमिक शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में जाकर परीक्षाएं लेने का निर्णय लागू करना सरासर गलत है।
शिक्षा विभाग को बना दिया प्रयोगशाला
प्राथमिक स्कूलों में 12 मार्च से होने वाली आकस्मिक परीक्षा के विरोध में राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के सचिव टीसी गुप्ता को डीओ के माध्यम से एक ज्ञापन सौंपा। जिला प्रधान राजेश बेनीवाल व जिला सचिव शमशेर कालिया ने कहा कि अगर शिक्षा विभाग को परीक्षा लेनी थी तो अपने वार्षिक कैलेण्डर में इसे शामिल करना चाहिए था। शिक्षा विभाग को एक प्रयोगशाला बना दिया गया है। dt
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