.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Saturday, 2 April 2016

सरकारी स्कूलों में पढ़ें एमपी-एमएलए के बच्चे

** सर्वे : 58 फीसद अभिभावक चाहते हैं प्रदेश में लागू हो इलाहाबाद हाईकोर्ट जैसा फैसला
चंडीगढ़ : इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला भले ही नजीर नहीं बन पाया, लेकिन हरियाणा के 58 फीसद अभिभावक चाहते हैं कि सांसदों, विधायकों और अधिकारियों व कर्मचारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने चाहिए। ऐसा करने से सरकारी स्कूलों की स्थिति में खुद-ब-खुद सुधार होता चला जाएगा और इन स्कूलों में पढ़ाई का स्तर बढ़ेगा। 
शिक्षा सुधार की दिशा में काम कर रहे राह ग्रुप फाउंडेशन की ओर से कराए गए सर्वे में अभिभावकों ने यह राय जाहिर की है। अलग-अलग मुद्दों पर करीब 30 हजार अभिभावकों को इस सर्वे से जोड़ने का दावा किया गया है। इनमें सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के छात्रों के अभिभावक हैं। महेंद्रगढ़ व रेवाड़ी जिलों में ग्रामीण और शहरी अभिभावक आय का सर्वाधिक 25 से 31 फीसद शिक्षा पर खर्च करते हैं, जबकि रोहतक व हिसार, भिवानी और जींद में यह आंकड़ा 15 से 24 फीसद है। फतेहाबाद में 9 से 14 फीसद ही रहा। गुड़गांव जिले में अभिभावक अपने बच्चंे के कक्षा इंचार्ज या स्कूल स्टाफ से नियमित संपर्क बनाए रखते हैं। पंचकूला में भी यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। मगर रोहतक, झज्जर, फतेहाबाद व सोनीपत के अभिभावकों ने इसे स्कूल के कामकाज में ही शामिल माना है। सर्वे में हिसार के देवीगढ़ पूनियां जैसे पिछड़े गांवों को भी शामिल किया गया है। 
सर्वे के मुताबिक में खुलासा हुआ कि 28 फीसद अभिभावक पढ़ाई लिखाई के बाद अपने बच्चों को सरकारी नौकरी में देखना चाहते हैं। 13 फीसद ने बच्चों पर छोड़ दिया जबकि 27 फीसद अभिभावक चाहते हैं कि बच्चे अपना कारोबार खड़ा करें। 32 फीसद अभिभावकों ने अभी कुछ तय नहीं किया है। 158 फीसद लोग एमपी, एमएलए और आफिसर्स के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाए जाने के पक्ष में हैं जबकि 24 फीसद लोग इससे सहमत नहीं हैं। 18 फीसद लोग तय नहीं कर पाए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सही है या गलत। 72 फीसद अभिभावकों की राय है कि स्कूलों में पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराया जाना चाहिए, जबकि 7 फीसद इसके खिलाफ हैं और 21 फीसद असमंजस में हैं। 38 प्रतिशत अभिभावक स्कूलों की पढ़ाई से संतुष्ट हैं। 32 फीसद असंतुष्ट और 18 प्रतिशत संशय में हैं। 
राज्य के 69 प्रतिशत अभिभावक ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों के क्लास टीचर के संपर्क में नहीं रहते, जबकि ऐसा करने वालों का आंकड़ा मात्र 10 प्रतिशत सामने आया है। 17 प्रतिशत इसकी जरूरत ही नहीं समझते। 4 प्रतिशत लोग अपने कामकाज की वजह से समय नहीं निकाल पाते। स्कूल समय के बाद 32 प्रतिशत लोग अपने बच्चों को ट्यूशन भेजते हैं, जबकि 39 प्रतिशत ध्यान ही नहीं दे पाते। 14 प्रतिशत अभिभावक बच्चों को खुद पढ़ाते हैं। राज्य में 92 प्रतिशत अभिभावकों को लगता है कि पांचवीं व आठवीं का बोर्ड बनने से शिक्षा का स्तर सुधरेगा। 5 प्रतिशत इसके खिलाफ हैं और 3 प्रतिशत को कुछ फर्क नहीं पड़ता।                                                            dj 

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.