नयी दिल्ली/तोशाम : हरियाणा में 31 मार्च, 2016 को सरप्लस बताकर हटाये गए 3581 अतिथि अध्यापकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी। कोर्ट ने सरकार को नियमित भर्ती होने तक उन्हें फिर से नौकरी पर रखने के आदेश दिए हैं और हाई कोर्ट के आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने अतिथि अध्यापकों की भर्ती को बैक डोर एंट्री कहने वाली बात को भी नकार दिया है। हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा गया है।
प्रदेश के राजकीय स्कूलों में 10 वर्ष से कार्यरत अतिथि अध्यापकों में से गणित, हिन्दी और सामाजिक अध्ययन के 3581 अध्यापकों को सरप्लस बताकर शिक्षा विभाग ने 31 मार्च, 2016 को घर का रास्ता दिखा दिया था। अतिथि अध्यापकों की यूनियन ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके खिलाफ अतिथि अध्यापकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मोहम्मद गुलीफुला व अन्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक लगाते हुए सरप्लस अतिथि अध्यापकों को नौकरी पर रखने के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र शास्त्री के नेतृत्व में संघ का एक शिष्ट मंडल नयी दिल्ली में सीएम खट्टर से मिला। खट्टर ने उन्हें शीघ्र भर्ती का भरोसा दिया है। शास्त्री ने कहा कि 16 हजार परिवारों को नयी उम्मीद जगी है।
बैक डोर एंट्री नहींअतिथि अध्यापकों की भर्ती को बैक डोर एंट्री कहे जाने पर कोर्ट ने कहा कि अतिथि अध्यापकों की भर्ती पॉलिसी बनाकर की गयी है। ऐसे में इसे बैक डोर एंट्री कैसे कहा जा सकता है। dt
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