** सर्व कर्मचारी संघ ने दिया 8 अप्रैल तक का समय, 9 को बनाएंगे अगली रणनीति
चंडीगढ़ : हरियाणा के लाखों कर्मचारियों को अपनी मांगों के पूरा होने के
लिए अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। बुधवार देर शाम सर्व कर्मचारी संघ के
साथ चार घंटे तक चली बैठक में प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों की तमाम मांगों
को कानून के दायरे में रहकर मानने का भरोसा देकर लौटा दिया। जल्द ही
कर्मचारियों की मांगों के समाधान के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जाएगी।
वहीं, कर्मचारी संघ ने सरकार को 8 अप्रैल तक का समय देते हुए 9 अप्रैल को
रोहतक में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। उसमें अगला फैसला लिया
जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल व राज्य सरकार के सीनियर अफसरों के साथ लंबी
बैठक के बाद सर्व कर्मचारी संघ के अध्यक्ष धर्मवीर फौगाट और महासचिव सुभाष
लांबा ने बताया कि सरकार ने सहानुभूति पूर्वक सभी मांगों पर विचार करने का
आश्वासन दिया है। बोर्ड, निगमों, विश्वविद्यालयों और स्थानीय निकायों में
तैनात कर्मचारियों को छह माह के भीतर सातवें वेतन आयोग का लाभ देने पर बनी
है। इसके अलावा फरीदाबाद में मारे गए तीन सफाई कर्मियों के परिजनों को
दस-दस लाख रुपये मुआवजा देकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नए बने
अग्निशमन निकाय में कच्चे कर्मचारियों को हटाया नहीं जाएगा और उन पर नए
सर्विस रूल लागू नहीं होंगे। एनआरएचएम कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग में
समायोजित करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। समान काम के लिए समान वेतन
लागू करने के लिए पॉलिसी की समीक्षा की जाएगी।
बता दें कि करीब 15 माह
पहले भी सर्व कर्मचारी संघ की हरियाणा सरकार के साथ समझौता वार्ता हुई थी,
लेकिन उस बैठक में तय बिंदुओं पर अमल होना तो दूर, आज तक बैठक की कार्यवाही
रिपोर्ट तक जारी नहीं हुई है। इस कारण कर्मचारी नेताओं में लगातार आक्रोश
बना हुआ है।
इन
मुद्दों पर सरकार और कर्मचारियों से वार्ता
- एनएचएम समेत करीब 50 हजार अनियमित और पार्ट टाइम कर्मचारी पक्के हों
- कर्मचारियों को नियमित करने की 2014 की पॉलिसी पर लगी हाई कोर्ट की रोक हटवाने को पुख्ता पैरवी हो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक समान काम के लिए समान वेतन मिले
- सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ पार्ट वन कच्चे कर्मचारियों के अलावा पार्ट टू कच्चे कर्मचारियों को भी दिया जाए
- सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लाभ के दायरे में बोर्ड, निगम, निकाय और विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को भी लाया जाए
- छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को जनवरी 2016 की बजाय जनवरी 2006 से लागू करें। तभी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ मान्य होगा। इससे पहले पंजाब के समान वेतनमान लागू हो
- कर्मचारियों को मिलने वाली दो हजार रुपये मासिक की अंतरिम राहत को मूल वेतन में शामिल किया जाए
- प्रति व्यक्ति आय में हरियाणा राष्ट्रीय औसत से पौने दो गुणा और पंजाब से डेढ़ गुणा अधिक है। इसलिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर 14.29 फीसद की बढ़ोतरी की बजाय 30 फीसद अतिरिक्त बढ़ोतरी देकर कुल बढ़ोतरी 44.29 फीसद दी जाए
- आउटसोसिर्ंग, निजीकरण व ठेका प्रथा की नीतियों की समीक्षा की जाए
- शिशु शिक्षा भत्ते में दो गुणा बढ़ोतरी करें और खाली पड़े पदों को पक्की भर्ती से भरें।
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