नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एमफिल और पीएचडी
में दाखिले के लिए छात्रों को लिखित व मौखिक परीक्षा में 80/20 के आधार पर
अंक दिए जाने के फैसले को हाई कोर्ट में अवैध बताया गया। न्यायमूर्ति वीके
राव के समक्ष मंगलवार को जेएनयू की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार
मेहता ने कहा कि यह फैसला अवैध है क्योंकि कुलपति ने प्रदर्शनकारी छात्रों
के दवाब में यह निर्णय लिया था। अदालत जेएनयू छात्रों द्वारा यूजीसी की ओर
से मई, 2016 में जारी अधिसूचना को चुनौती देने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर
रही है। छात्रों ने इस अधिसूचना को गैर कानूनी बताते हुए रद करने की मांग
की है। आयोग ने इस अधिसूचना में कहा है कि एक प्रोफेसर के अधीन सिर्फ आठ
छात्र ही पीएचडी कर सकते हैं।
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