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Saturday, 8 July 2017

आईआईटी दाखिलों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक; कहा- दाखिला ले चुके 33 हजार छात्रों का भविष्य अधर में

** जेईई में पूछे गए गलत सवालों के एवज में पहली बार सभी को दिए थे 18 ग्रेस मार्क्स 
** सरकार की दलील- 2 लाख आंसर शीट फिर से जांचना मुश्किल 
** मेरिट लिस्ट रिवाइज करना ही प्रतिभावान छात्रों के साथ न्याय होगा 

** हाईकोर्ट में संबधित मामलों की सुनवाई पर भी रोक, अगली सुनवाई 10 को, नई रैंकिंग लिस्ट संभव

 ** देश में 3289 इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट हैं। इनमें 23 आईआईटी, 31 एनआईटी और 19 आईआईआईटी हैं। इन संस्थानों में इंजीनियरिंग की कुल सीटें 15 लाख 53 हजार 809 हैं। 
नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने जेईई के आधार पर आईआईटी समेत बाकी सभी संस्थानाें में होने वाले दाखिलाें पर रोक लगा दी है। ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम (जेईई) में सभी छात्रों को 18 ग्रेस मार्क्स देने के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है। यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी के दाखिलों पर रोक लगाई है। 

एनआईआईटी, आईआईआईटी और जीएफटीआई के 97 संस्थानों में 36 हजार 268 सीटों अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों में भी जेईई से ही दाखिले होते हैं। उन पर भी रोक लग गई है। अब तक दो राउंड की काउंसिलिंग में इन संस्थानों में 33 हजार से ज्यादा छात्र एडमिशन ले चुके हैं। सिर्फ 3235 सीटें ही खाली हैं। शुक्रवार को तीसरे चरण की काउंसिलिंग होनी थी। जो कोर्ट के आदेश के बाद नहीं हुई। हाईकोर्ट को भी इस मामले से जुड़ी नई अर्जियां लेने और पुरानी अर्जियों पर रिपोर्ट देने को कहा गया है। कोर्ट ने कहा कि दाखिला ले चुके 33 हजार छात्रों का भविष्य अधर में है। ग्रेस मार्क्स की वैधता पर फैसले तक दाखिले करें। अगली सुनवाई 10 जुलाई को हाेगी। 
मेरिट लिस्ट रिवाइज करना ही प्रतिभावान छात्रों के साथ न्याय होगा 

आईआईटी मद्रासको मेरिट लिस्ट रिवाइज करनी पड़ेगी। यह होना भी चाहिए। तभी प्रतिभावान छात्रों के साथ न्याय होगा। अभी सभी छात्रों को 18 ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं। यह आईआईटी के पूर्व के परीक्षा नियमों के खिलाफ है। फायदा उन्हीं छात्रों को मिलना चाहिए, जिन्होंने विवादित प्रश्न हल करने का प्रयास किया। जिन्होंने वह प्रश्न छुए तक नहीं, उन्हें 18 अंक क्यों देना? 18 ग्रेस मार्क्स से परीक्षा मजाक बन गई है। अधिकतम ग्रेस मार्क्स 1% से ज्यादा नहीं होने चाहिए। पता चला है कि ओडिशा से ही 2700 में से 300 छात्र आईआईटी में चुने गए। इससे परीक्षा पर ही सवाल खड़े होते हैं। मेरिट लिस्ट दोबारा तैयार करने की सूरत में सेमेस्टर में कोई देरी नहीं होगी। जुलाई अंत तक दाखिला प्रक्रिया चलती है। वैसे भी काउंसलिंग की आखिरी तारीख 19 जुलाई निर्धारित है। 
विकास सिंह (याचिकाकर्ताओं के वकील): सभीको ग्रेस देना बाकी छात्रों के अधिकारों का हनन है। 

जस्टिस दीपक मिश्रा: 
समाधान एक ही है। जिन्होंने सवाल हल करने का प्रयास किया उन्हें ही ग्रेस दें। हम 2005 में इस कोर्ट के फैसले के अनुसार जाएंगे। जिन्होंने प्रयास नहीं किया, उन्हें बोनस अंक क्यों दें? 
केकेवेणुगोपाल (अटॉर्नी जनरल): 

जेईईमें निगेटिव मार्किंग थी। संभव है कि अंक कटने के डर से कुछ छात्रों ने अस्पष्ट सवालों के जवाब दिए हों। इसलिए सबको ग्रेस दिए। नहीं तो इन सवालों के अंक हटाने पड़ते। दो लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी थी। सबकी आंसर शीट फिर जांचना मुश्किल था। इसलिए सभी छात्रों को एक जैसा 18 ग्रेस मार्क्स देने का फैसला किया गया था। वैसे भी अब तक 33 हजार से ज्यादा छात्र दाखिला ले चुके हैं। 

जस्टिसमिश्रा: 

33हजार छात्रों का भविष्य पहले ही अधर में लटक चुका है। अंतरिम उपाय के तौर पर आईआईटी जेईई-2017 के आधार पर आगे दाखिले करें। गलत सवालों के बोनस अंक देने की वैधता पर फैसले के बाद ही आईआईटी में दाखिले किए जाएं। 

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