सिरसा : शिक्षा विभाग की एक तरफ से सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता शिक्षा देने व
विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जाता है, घर-घर जाकर
अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में दाखिला से लिए प्रेरित किया जाता है।
दूसरी तरफ उनकी पढ़ाई में कोताही बरती जा रही है।
राजकीय प्राथमिक स्कूलों
में शिक्षा सत्र शुरू होने के 110 दिन बाद भी अभी तक पहली, चौथी व पांचवी
कक्षा की पाठ्य पुस्तकें नहीं पहुंची हैं।
जबकि शिक्षा विभाग ने सोमवार से स्कूलों में मासिक परीक्षा लेने के निर्देश
जारी किए हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना पुस्तकें विद्यार्थी कैसे
परीक्षा दें पाएंगे। स्कूलों में अभी विद्यार्थियों को किताबों के आने का
इंतजार है।
पुरानी पुस्तकों से चला रहे काम
सरकारी स्कूलों में पहले स्टाफ
का टोटा था। अभी स्कूलों में नव नियुक्ति जेबीटी अध्यापकों ने कार्यभार
संभाला है। मगर अभी तक पुस्तकें नहीं है। स्कूल में नियुक्ति अध्यापक
शिक्षा सत्र के बाद नई पुस्तकों के अभाव में विद्यार्थियों को फटेहाल
पुस्तकों से ही पढ़ाकर सलेबस पूरा करवा रहे हैं
एक अप्रैल से शुरू हुआ था
शिक्षा सत्र
नया शैक्षणिक सत्र सरकारी स्कूलों में एक अप्रैल से शुरू हुआ।
लेकिन अभी तक प्राथमिक स्कूलों में पहली, चौथी, पांचवी कक्षा पुस्तकें ही
नहीं पहुंच पाई हैं। पुस्तकों के अभाव में पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पाया
है, लेकिन शिक्षा विभाग फिर भी प्राथमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की
मासिक परीक्षाएं 24 जुलाई से लेने जा रहा है। बिना पढ़े विद्यार्थी किस तरह
परीक्षा देंगे, यह उन्हें समझ नहीं आ रहा है। इसके बावजूद विभाग की ओर से
हर माह अच्छे परीक्षा परिणाम की भी उम्मीद की जा रही है।
अध्यापक बता रहे
लापरवाही
अध्यापक संघ से जुड़े अध्यापकों का कहना है कि स्कूली शिक्षा
विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते हर साल बच्चों को समय पर पुस्तकें
नहीं मिल पातीं। न तो सरकार और न ही अधिकारी पुस्तकें स्कूलों में भिजवाने
की प्रक्रिया समय पर शुरू कर रहे हैं। दो एजेंसी समय पर पुस्तकों का वितरण
नहीं कर पाए उसे ब्लैकलिस्ट करना चाहिए।
दूसरी व तीसरी कक्षा के छात्रों
को मिली पुस्तकें
सरकारी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत
विद्यार्थियों को सभी पुस्तकें प्रदेश सरकार की ओर से मुहैया करवाई जाती
हैं। जिले के स्कूलों में दूसरी और तीसरी कक्षाओं के विद्यार्थियों को ही
पुस्तकें उपलब्ध हो पाई हैं। बाकी विद्यार्थी एक चौथाई से अधिक शिक्षा सत्र
बीतने के बाद भी पुस्तकों का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है, जब
समय पर पुस्तकें नहीं पहुंचीं, पहले भी कई बार गर्मियों की छुट्टियों के
बाद ही पुस्तकें मिलती रही हैं।
"स्कूलों में जिन कक्षाओं की पाठ्यक्रम की
पुस्तकें नहीं पहुंची है। उन स्कूलों में अध्यापक पुरानी पुस्तकों से
सिलेबस पूरा करवा रहे हैं। स्कूल में पढ़ाई बाधित नहीं हुई है। स्कूल के
विद्यार्थियों को जो पढ़ाया गया है। उसका ही मासिक टेस्ट होगा।"-- देवेंद्र
कुंडू, जिला परियोजना अधिकारी, सर्व शिक्षा अभियान।
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