** राज्य में 50 हजार पद खाली, स्कूलों का बजट
16.5 फीसदी तक कम हुआ
** शिक्षकों और सरकार के बीच भरोसे के अभाव ने
बिगाड़े रिजल्ट के हालात
चंडीगढ़ : हरियाणा में दसवीं और बारहवीं के खराब परीक्षा नतीजों के लिए भले ही स्कूल मुखियाओं व शिक्षकों के सिर ठीकरा फोड़ा जा रहा, मगर हकीकत में इसके लिए सीधे तौर पर शिक्षक कहीं दोषी नजर नहीं आ रहे। प्रदेश के अधिकतर स्कूलों में न तो शिक्षक हैं और न ही स्कूल मुखिया। जिन स्कूलों में शिक्षक काम भी कर रहे, वहां उनसे आवारा कुत्ताें की गिनती कराने सरीखे गैर शैक्षणिक करवाए जा रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने हाल में राज्य के 160 ऐसे स्कूलों के 800 मुखियाओं व शिक्षकों को नोटिस दिए हैं, जिनमें दसवीं का परीक्षा परिणाम 0 फीसद से भी कम है। इन स्कूलों से एक पखवाड़े के भीतर जवाब मांगा गया है। जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो उन्हें चार्जशीट किया जाना तय है। सभी स्कूल मुखिया व शिक्षक उन्हें मिले नोटिसों का जवाब देने की तैयारियों में लगे हुए हैं। वर्ष 05 में दसवीं का परीक्षा परिणाम मात्र 5.4 फीसदी था। 06 में यह बढ़कर 48.88 फीसदी पर पहुंच गया और 07 में दो फीसदी फिर कम हो गया। इससे सरकार बेहद चिंतित है और खराब रिजल्ट के लिए स्कूल मुखियाओं व शिक्षकों को जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई करने की तैयारी में हैं। वर्ष 05 में भी स्कूलों को चिन्हित कर प्रिंसिपल व शिक्षकों पर कार्रवाई की बात कही गई थी। उस समय आठवीं का बोर्ड नहीं था।
स्कूल मुखियाओं ने दलील दी थी कि यदि बच्चों की परीक्षाएं नहीं होंगी तो बेस कमजोर रहेगा। आठवीं तक उन्हें फेल नहीं किया जाता, जिस कारण दसवीं और बारहवीं में उनसे अच्छे नतीजों की उम्मीद नहीं की जा सकती। तब सरकार स्कूल मुखियाओं की दलील से संतुष्ट हो गई थी, मगर इस बार सरकार तमाम सुविधाएं होने का दावा कर रही, लेकिन फिर भी रिजल्ट संतोषजनक नहीं है। ऐसे में सरकार की चिंता बढ़ गई है।
मौके पर जाकर रिपोर्ट तैयार करें अफसर
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वजीर सिंह के अनुसार अफसरों को फील्ड में भेजा जाए। हर उस स्कूल का दौरा किया जाए, जहां खराब रिजल्ट है और मौके पर ही रिपोर्ट तैयार कराई जाए।
विज्ञान और गणित डुबो रहे नाव, इनके टीचर नहीं
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के मुताबिक अधिकतर छात्र गणित और विज्ञान में फेल हुए हैं। मॉडल स्कूलों में भी छात्र इन्हीं विषयों में फेल हुए है। 88 फीसदी छात्र गणित और विज्ञान में फेल हैं। इसके बाद अंग्रेजी में फेल हुए है। आठवीं तक गणित में बीजगणित और ज्यामिति की आधार रखी जाती है, लेकिन दसवीं के छात्र बेसिक से दूर होते हैं। राज्य में साइंस शिक्षकों के 6700 पद हैं, लेकिन काम सिर्फ 600 कर रहे हैं।
हेड मास्टरों के 800 पद खाली, बवानीखेड़ा में एक भी नहीं
प्रदेश के स्कूलों में हेड मास्टर के 65 पद हैं, लेकिन इनमें से 800 पद खाली पड़े हुए हैं। जब स्कूलों में मुखिया नहीं होंगे तो बच्चों व शिक्षकों का खैर-ख्वाह कौन माना जाएगा। भिवानी जिले के बवानीखेड़ा ब्लाक में करीब 50 गांव और 00 स्कूल पड़ते हैं। ताज्जुब की बात है कि यहां एक भी हेड मास्टर नहीं है।
शिक्षकों के पद खाली, नहीं हो रही पुरानी ज्वाइनिंग
हरियाणा में शिक्षकों के
करीब 50 हजार पद खाली चल रहे हैं। राज्य में लाख हजार स्वीकृत पद हैं,
लेकिन नई भर्ती नहीं हो रही। पिछली सरकार ने जो भर्तियां की थी, उन्हें
ज्वाइन नहीं कराया जा रहा है। जेबीटी पर अभी तक 8 बार लाठीचार्ज हो चुका
है। स्कूलों का बजट भी 6.5 फीसदी तक कम हो गया है।
शिक्षकों पर भरोसा नहीं,
निजी कंपनियों के हवाले काम
राज्य में 10 निजी कंपनियां शिक्षा में सुधार के
लिए काम कर रही हैं। उन पर करीब 500 करोड़ का बजट खर्च किया जा रहा है।
पेपर बनाने से लेकर उनका मूल्यांकन, मिड डे मील और शिक्षक सुधार के तमाम
कार्य इन कंपनियों के प्रतिनिधि कर रहे हैं। इससे शिक्षकों को अपना अपमान
महसूस हो रहा है।
आवारा कुत्ताें का सर्वे करें या फिर पढ़ाई कराएं
शिक्षक
संघ के नेताओं के अनुसार शिक्षकों से गैर शैक्षणिक काम लिए जाने से भी
रिजल्ट प्रभावित हो रहा है। फरीदाबाद जिले में पिछले दिनों शिक्षकों से
आवारा कुत्ताें का सर्वे कराया गया, ताकि उनकी नसबंदी कराई जा सके। वोट
बनाने से लेकर हर तरह के सर्वे में शिक्षक लगाए जाते हैं। फिर वे कब
पढ़ाएं।
"हरियाणा सरकार प्रदेश में शिक्षा का
स्तर बढ़ाने तथा रिजल्ट में सुधार के लिए कटिबद्ध है। मौलिक, माध्यमिक और
उच्चतर शिक्षा में साढ़े 4 हजार करोड़ के कुल परिव्यय का प्रस्ताव है। यह
राशि पिछले बजट से 9 फीसद ज्यादा है। इतना सब कुछ है। फिर नतीजे तो देने ही
होंगे।"-- प्रो. रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री, हरियाणा
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