नई दिल्ली : एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि हमारी
शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से अमानवीय हो चुकी है। यह एक ऐसी मशीन बन गई है,
जिससे केवल क्लोन पैदा हो रहे हैं। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और नजमी
वजीरी की खंडपीठ ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली से मानवीय पक्ष एकदम गायब
हो चुका है। छात्रों और शिक्षकों के बीच संपर्क नाममात्र का रह गया है।
यह
मामला एमिटी लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र सुशांत रोहिल्ला आत्महत्या मामले से
जुड़ा है। सुशांत ने गत वर्ष खुदकशी कर ली थी। सुसाइड नोट में उसने हाजिरी
कम होने के चलते परीक्षा में न बैठने देने की बात लिखी थी। इस पर कोर्ट ने
संस्थान से कहा कि वह अपने नियमों का पालन किसी छात्र की जान को ताक पर रख
कर न करे, गलती को सुधारने की गुंजाइश रखे। कोर्ट ने पुलिस से सभी पक्षों
को ध्यान में रखते हुए जांच करने के लिए कहा है। अदालत ने दक्षिणी दिल्ली
के डीसीपी को निर्देश दिया कि वह अपनी रिपोर्ट अगली सुनवाई (8 अगस्त) से
पहले दाखिल करें। गौरतलब है कि सुशांत के दोस्त राघव ने सुप्रीम कोर्ट के
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर को पत्र लिखकर मामले में संज्ञान लेने
की अपील की थी। इसके बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका
दायर की थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मामले को दिल्ली हाई
कोर्ट में भेज दिया।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.