नई दिल्ली : हाई कोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और
न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की खंडपीठ ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
(सीबीएसई) से उसके सर्कुलर को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी कर छह
नवंबर तक जवाब मांगा है। सीबीएसई ने अक्टूबर 2016 के सर्कुलर में स्कूलों को
निर्देश दिया था कि शिक्षकों से शैक्षिक गतिविधियों के अलावा कोई अन्य
कार्य न कराएं। छात्रों को स्कूल लाने व उन्हें वापस घर छोड़ते वक्त बस में
एक महिला अटेंडेंट का रहना जरूरी है। एक एनजीओ व एक शख्स द्वारा लगाई गई
याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई के पास स्कूलों के प्रशासनिक कार्यो को
लेकर दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली में शिक्षा के
संबंध में शैक्षिक, प्रशासनिक व अन्य नियम दिल्ली एजुकेशन एक्ट के तहत बनाए
जाते हैं। बच्चों को स्कूल से लाने व ले जाने और प्रशासनिक कार्यो को लेकर
पहले ही दिल्ली का शिक्षा निदेशालय विस्तार से नियम बना चुका है। सीबीएसई
महज परीक्षा लेने वाला बोर्ड है। वह यह निर्णय नहीं ले सकता है कि स्कूल की
बसें कैसे चलेंगी। सीबीएसई ने जून 2012 में इस संबंध में सकरुलर जारी किया
था, जिसमें अक्टूबर 2016 में संशोधन किए गए थे।
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