** मुख्यमंत्री के गोद लिए क्योड़क गांव के तीन स्कूलों की कहानी, बाल
अधिकार संरक्षण आयोग की टीम का छापा पड़ा तो तार-तार दिखी व्यवस्था
** शिक्षिकाओं ने कक्षा में उपस्थित बच्चों की लगा रखी थी गैरहाजिरी
** जो छात्रएं स्कूल छोड़कर चलीं गईं, उनकी लग रही हाजिरी
** टीम पहुंची तो अध्यापकों ने छात्रओं से कुर्सियां उठवाई, इस पर डीईईओ ने आपत्ति जताई।
कैथल : यह मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गोद लिए क्योड़क गांव के तीन स्कूलों की
कहानी है। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, राजकीय प्राथमिक पाठशाला
और राजकीय संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय। लड़कियों के स्कूल में
इंतजाम और स्टाफ में अनुशासन व संजीदगी नाम की कोई चीज देखने को नहीं मिली।
यहां तक रजिस्टर में छात्रओं की हाजिरी तक झूठी लगाई गई थी। जो छात्रएं
स्कूल आई ही नहीं, उन्हें उपस्थित दिखाया गया था। कक्षा नौवीं की कई
छात्रएं स्कूल छोड़कर जा चुकी हैं, लेकिन उनके नाम रजिस्टर में आज भी चल
रहे हैं।1 छात्रओं को चाइल्ड हेल्पलाइन तक के नंबर नहीं बताए गए। दरअसल एक
शिकायत के आधार पर बृहस्पतिवार को हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग
की सदस्य रमनदीप कौर जिला शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही, स्वास्थ्य
विभाग की नर्सिंग प्रशिक्षक मंजू नैन और बाल कल्याण समिति के सदस्यों के
साथ इन स्कूलों में छापामारी करने पहुंची थी। इनमें से किसी भी स्कूल में
जनरेटर नहीं चलते। बिजली जाने पर शिक्षक व बच्चे गर्मी में परेशान होते
हैं।
हाजिरी 32 की, मिली 19 :
करीब 12 बजे आयोग की टीम राजकीय कन्या वरिष्ठ
माध्यमिक विद्यालय में पहुंची। मुख्य प्रवेश द्वार बंद था। जैसे ही उसे
खोला गया, अंदर से भैंस निकलकर दौड़ीं। टीम सीधे कक्षा नौवीं में पहुंची।
अध्यापिकाओं ने अधिकारियों के लिए छात्रओं से ही कुर्सियां उठवाई। आयोग को
शिकायत मिली थी कि इस कक्षा की कई छात्रएं स्कूल छोड़कर जा चुकी हैं, लेकिन
उनके बारे में पड़ताल तक नहीं की गई। क्लास रूम में नौवीं के ए और बी
दोनों सेक्शन एक साथ बिठाए गए थे। कक्षा इंचाजरें ने बताया कि बी सेक्शन
में 52 में से 30 और ए सेक्शन में 56 में से 32 छात्रएं उपस्थित हैं।
हाजिरी रजिस्टर की जांच की गई यह आंकड़ा झूठा साबित हुआ। ए सेक्शन में 56
की बजाय कुल 57 छात्रएं हैं और इनमें से महज 19 ही हाजिर थीं। अधिकारियों
ने कक्षा इंचार्ज को जमकर फटकार लगाई। अध्यापिका बोलीं, सर हाजिरी तो सही
लगाई थी, गलती हो गई। स्कूल की कंप्यूटर लैब में सिस्टम धूल फांक रहे हैं।
बिजली के बोर्ड भी टूटे हैं।
पीसी लैब बनी क्लास रूम :
स्कूल की खास बात
यह है कि इसमें वोकेशनल कोर्सों की अलग-अलग आधुनिक लैब हैं और चिंता की बात
यह है कि यह सभी बदइंतजामी का शिकार हैं। पेशेंट केयर लैब बच्चों को
प्राथमिक चिकित्सा के गुर सिखाने और आपातकाल में बच्चों को इलाज देने के
लिए बनाई गई है, लेकिन यह क्लास रूम में तब्दील हो चुकी है। महंगे
चिकित्सीय उपकरण आज तक प्रयोग ही नहीं किए गए। टीम में मौजूद स्वास्थ्य
विभाग की नर्सिंग प्रशिक्षक मंजू नैन ने जब लैब इंचार्ज जीएनएम से कुछ सवाल
पूछे तो वे सही तरीके से जवाब भी नहीं दे पाई। हाथ धोने का तरीका में भी
ठीक से समझा नहीं पाई।
क्योड़क गांव के राजकीय संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक
विद्यालय में कैमिस्ट्री की लैब में न तो पानी की आपूर्ति थी और न ही
उपकरणों को साफ किया गया था
लाइब्रेरी बनी किचन :
इसके बाद टीम गांव जगदीशपुरा
के स्कूल पहुंची। यहां सातवीं कक्षा में महज सात बच्चे पढ़ते हैं।
पुस्तकालय व विज्ञान कक्ष को किचन में तब्दील कर दिया गया है। इसके साथ
लगते ही एक कमरे में चारपाई डाली गई है।राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक
विद्यालय क्योड़क में जब टीम औचक निरीक्षण करने पहुंची तो अंदर भैंसें घुसी
हुई थी और मुख्य गेट बंद था। पूछने पर अध्यापकों ने बताया कि गेट खुला
रहने के कारण भैंसें अंदर आ गई होंगी
एक कमरे में 62 बच्चे
राजकीय संस्कृति
वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में भी बच्चे चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर नहीं बता
सके। जिला शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने इंग्लिश मीडियम की छठी
कक्षा में बच्चों से प्रकाश के सीधी रेखा में चलने को प्रमाणित करने और
काबरेहाइड्रेट्स के स्नोत के बारे में पूछा, लेकिन वे बता नहीं पाए। इस
क्लास रूम में 62 बच्चे बैठते हैं। कई क्लासरूम में चौखटें तक टूटी हुई थी।
फिजिक्स की लैब में कस्सी और फावड़े रखे गए हैं तो केमिस्ट्री की लैब में
पानी तक नहीं आता।
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