नई दिल्ली : आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटे में एडमिशन पाने
से वंचित रहने वाले करीब 90 हजार बच्चों के भविष्य पर चिंता जताते हुए
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा मुहैया कराना न
सिर्फ सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारी भी
है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की
पीठ ने कहा कि नर्सरी में ईडब्ल्यूएस श्रेणी में दाखिले के लिए आए एक लाख
15 हजार आवेदनों में से महज करीब 25 हजार बच्चे ही दाखिला ले सके हैं। ऐसे
में दिल्ली सरकार बताए कि बाकी 90 हजार बच्चों का क्या हुआ।
खंडपीठ ने कहा
कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि सभी बच्चों को दाखिला मिले, तभी शिक्षा के
अधिकार कानून का मकसद पूरा होगा। सरकार हलफनामा दाखिल कर बताए कि नर्सरी
कक्षा में दाखिला के लिए ऑनलाइन आवेदन करने वाले बाकी 90 हजार बच्चों का
क्या हुआ। उन्हें सरकारी स्कूलों में दाखिला मिला या नहीं।
कड़े लहजे में
शिक्षा निदेशालय को फटकार लगाते हुए खंडपीठ ने कहा कि निजी स्कूलों में
आवेदन के लिए सिर्फ ऑनलाइन व्यवस्था ही क्यों है। इसके लिए ऑफलाइन व्यवस्था
क्यों नहीं की गई। अधिक उम्र के कारण निजी स्कूलों द्वारा 2000 छात्रों को
निकाले जाने पर हाई कोर्ट ने सितंबर में अपना फैसला सुनाने का निर्णय लिया
है। हालांकि खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में इसे गलत करार दिया है। एक एनजीओ
द्वारा लगाई गई याचिका पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
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