नयी दिल्ली : शिक्षा
के अधिकार अधिनियम के सबसे विवादित 5वीं से 8वीं कक्षा तक विद्यार्थियों
को फेल न करने के प्रावधान को खत्म किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार एक
विधेयक लाएगी। प्रस्तावित विधेयक में फेल हुए विद्यार्थियों को परीक्षा पास
करने के लिए 2 और अवसर दिये जाएंगे। अगर वे इनमें भी फेल हो जाते हैं तो
उन्हें दोबारा उसी कक्षा में पढ़ना पड़ेगा।
शुक्रवार को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी।
इसके साथ ही, लोकसभा ने ‘नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन
विधेयक 2017’ को मंजूरी दी। इस संशोधित अधिनियम के तहत स्कूलों में तैनात
अप्रशिक्षित शिक्षकों को बीएड की योग्यता हासिल करने के लिए 31 मार्च 2019
तक समय दिया गया है। पहले सरकार की ओर से इसके लिए 31 मार्च 2015 तक की
समयसीमा तय की गयी थी। इस बिल से इसे बढ़ाकर 2019 तक कर दिया गया है। इससे
11 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों को लाभ होगा। सरकार ने कहा कि अगर इस अवधि में
स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षक बीएड की डिग्री हासिल नहीं कर पाते हैं तो
उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। जावड़ेकर ने बताया कि ऐसे शिक्षकों की
सहायता के लिए सरकार ने ‘स्वयं’ पोर्टल भी लांच किया है।
जावड़ेकर
ने कहा कि नये अधिनियम में फेल बच्चों को मार्च और मई में दो अवसर दिये
जाएंगे। इनमें उन्हें अपनी परीक्षा पास करनी होगी। अभी शिक्षा के अधिकार
कानून के तहत 8वीं कक्षा तक छात्रों को फेल नहीं करने का प्रावधान है। इसके
तहत विद्यार्थी अगर फेल भी है तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट करना अनिवार्य
है। राज्यों की ओर से इस प्रावधान को खत्म करने के लिए लगातार मांगें आ
रही थीं। उनका कहना था कि इससे शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
विशेष टीमें देंगी शिक्षकों को प्रशिक्षण
जावड़ेकर ने कहा कि स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के
लिए कुछ जगहों पर बायोमेट्रिक प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। इस बारे
में एक एप का भी विकास किया गया है। सदस्यों कें सवालों के जवाब में मानव
संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि 8 राज्य ऐसे हैं जहां सबसे ज्यादा
अप्रशिक्षित शिक्षक हैं। हम इन प्रदेशों में शिक्षक प्रशिक्षण पर ध्यान
देने के लिये विशेष टीम बना रहे हैं और इस विषय पर खास ध्यान दिया जायेगा।
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