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Wednesday, 16 October 2013

मिड-डे-मील की आड़ में मासूमों की सेहत से खिलवाड़

** खुफिया विभाग के एफओ व सामाजिक संगठन पदाधिकारियों को उचाना के प्राइमरी स्कूल में गेहूं-चावल में मिलीं सुरसी 
उचाना : शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी स्कूलों में बेशक दोपहर के भोजन के रूप में मिड-डे मील योजना को शुरू किया गया हो, लेकिन इसकी गुणवत्ता पर निरंतर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। स्कूलों में विद्यार्थियों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील की खाद्य सामग्री गुणवत्ता पर खरी नहीं उतर रही है। मंगलवार को खुफिया विभाग के एफओ, सामाजिक संगठन पदाधिकारियों द्वारा उचाना कलां के राजकीय कन्या प्राइमरी स्कूल का सुबह साढ़े दस बजे औचक निरीक्षण किया गया। यहां मिड-डे मील में इस्तेमाल की जाने वाले गेहूं, चावल के रखने के लिए बनाई गई टंकियों की जांच की तो इसमें सुरसियों की भरमार थी। साथ ही दलिया, रोटी बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली गेहूं काली पड़ चुकी है। इसके बावजूद भी मिड-डे मील में इसका इस्तेमाल करके बीमारियों को न्योता दिया जा रहा है। 
                          प्राइमरी कन्या स्कूल में मिड-डे-मील में इस्तेमाल गेहूं जो काली पड़ गई है। 
चावल के बैगों में भी सुरसियों की भरमार थी। यहां खाना बना रही मिड-डे-मील वर्कर्स से जब गेहूं के काले पडऩे के साथ चावलों में सुरसियों की भरमार को लेकर पूछा गया तो नाम न बताते हुए उसने बताया कि चावलों, गेहूं को पानी से साफ करके इस्तेमाल किया जाता है। प्रिंसिपल राजकुमार ने बताया कि प्राइमरी मिड-डे-मील इंचार्ज जेबीटी शिक्षिका सुशीला पिछले कई दिनों से छुट्टी पर चल रही हैं। इस मामले को लेकर खंड शिक्षा अधिकारी को अवगत करवा दिया जाएगा। 
जांच के बाद दोषी के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई 
"उचाना कलां गांव में प्राइमरी कन्या स्कूल के मिड-डे-मील में इस्तेमाल गेहूं-चावल में सुरसियां मिलने के मामले की जांच की जाएगी। जांच के बाद दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गुणवत्ता में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"-धर्मबीर सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, उचाना। 
गुणवत्ता नहीं तो मिड-डे-मील करें बंद 
उचाना विकास मंच के प्रधान राजेश श्योकंद, नसीब अहमद, सज्जन ने कहा कि पहली कक्षा से लेकर आठवीं तक दोपहर के भोजन में मिड-डे-मील योजना के तहत निरंतर घटिया सामग्री इस्तेमाल किए जाने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। बीते दिनों कहसून गांव में भी घटिया सामग्री इस्तेमाल किए जाने का मामला सामने आया था। मिड-डे-मील में इस्तेमाल खाद्य सामग्री की गुणवत्ता अगर बेहतर नहीं की जाती तो इस योजना को बंद किया जाना चाहिए। ताकि विद्यार्थी बीमार होने से बच सकें।       db






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