मुंबई : बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि स्कूल में प्रार्थना के समय टीचर को हाथ जोडऩे या संविधान की शपथ लेते समय हाथ सामने करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। जस्टिस अभय ओका और रेवेती मोहिति ढेरे की बेंच ने कहा कि टीचर को ऐसा करने के लिए बाध्य करना उसके मौलिक अधिकारों का हनन होगा।
एक बौद्ध धर्म के शिक्षक की याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया। बेंच ने कहा कि स्कूल प्रार्थना के समय टीचर अनुशासन का पालन करने के लिए बाध्य है लेकिन उसे हाथ जोडऩे के लिए मजबूर नहीं कर सकते। नासिक के एक स्कूल में शिक्षक संजय साल्वे के इसी व्यवहार के कारण स्कूल प्रबंधन ने उन्हें अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए उच्च वेतन का लाभ रोक दिया था। हालांकि साल्वे का कहना है कि वह पूरी प्रक्रिया में शामिल होते हैं। असम्मान प्रकट नहीं करते लेकिन वह हाथ नहीं जोड़ते और शपथ लेते समय हाथ नहीं फैलाते। बेंच ने टीचर की गोपनीय रिपोर्टों के आधार पर माना कि जहां तक शिक्षण का सवाल है साल्वे का रिकॉर्ड बेहतर है। इसलिए उन्हें उच्च वेतनमान का लाभ दिया जाए। db
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