** डीसी रेट के बजाय एकसमान स्टेट रेट बनाने का फैसला
** मुख्य सचिव ने विभागों को पत्र भेजकर दी जानकारी
चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार के दफ्तरों, बोर्डों और निगमों में आउटसोर्सिंग पालिसी और ठेका आधार पर रखे कच्चे कर्मचारियों का वेतन बढ़ेगा। सरकार ने इस संबंध में सैद्धांतिक फैसला ले लिया है, जिसकी औपचारिक घोषणा बाकी है। सरकार के इस फैसले से करीब 60 हजार कच्चे कर्मचारियों को लाभ होगा।
प्रदेश सरकार ने कुछ साल पहले आउटसोर्सिंग पालिसी लागू की थी। इसके तहत विभिन्न दफ्तरों, बोर्डों, निगमों में कर्मचारियों की आवश्यकता पूरी करने के लिए किसी सर्विस प्रोवाइडर के जरिए कच्चे कर्मचारी रखे जाते हैं। ऐसे कर्मचारियों को वेतन डीसी रेट के अनुसार दिया जाता है लेकिन यह वेतन पक्के और नियमित कर्मचारियों के वेतन के मुकाबले एक तिहाई ही होता है।
इसके बावजूद कई ऐसे मामले भी सामने आए कि कच्चे कर्मचारियों के वेतन में ठेकेदारों ने ही हेराफेरी कर कम पैसा दिया। कच्चे कर्मचारियों के संगठन भी राज्य में लंबे समय से पूरा वेतन दिए जाने की मांग उठाते रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बीते दिनों कुछ निर्वाचित प्रतिनिधियों ने जानकारी दी थी कि आउटसोर्सिंग पालिसी के तहत रखे गए कच्चे कर्मचारियों को आधा वेतन भी नहीं दिया जा रहा। कुछ ठेकेदार कर्मचारियों से हस्ताक्षर तो डीसी रेट के वेतन पर कराते हैं लेकिन पूरे पैसे नहीं देते। वेतन से कर्मचारी बीमा निगम या पीएफ का अंशदान काट लिया जाता है लेकिन यह राशि भी जमा नहीं कराई जाती। यह जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री ने तुरंत मुख्य सचिव पीके चौधरी को जरूरी कदम उठाने को कहा था।
दो दिन पहले मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से एक पत्र श्रम, वित्त, शिक्षा विभाग को भेजा गया। इसमें मुख्य सचिव द्वारा बुलाई गई बैठक में लिए गए फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया है कि आउटसोर्सिंग पालिसी के तहत सर्विस प्रोवाइडर को स्पांसरिंग एजेंसी घोषित किया जाएगा और ठेके पर कर्मचारी की भरती अब छह महीने के बजाए एक साल के लिए होगी। au
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