सिरसा : शिक्षा विभाग का काम करने का अजीब तरीका सामने आया है। सूचना के अधिकार के तहत जिलास्तर और प्रदेश स्तर की मांगी गई जानकारी को भी शिक्षा विभाग अपने स्तर पर जुटाकर देने की बजाय सबसे निचले स्कूल स्तर तक आवेदन को ‘फारवर्ड’ कर दिया। ऐसे में स्पष्ट है कि स्कूल स्तर का मास्टर जिला या प्रदेश स्तर की सूचना कैसे उपलब्ध कराएगा।
विभागीय सूत्रों से पता चला है कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत शिक्षा निदेशालय, पंचकूला, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में आवेदन आए कि जिला स्तर पर काम कर रहे अध्यापकांे की संख्या उपलब्ध कराई जाए, इस वर्ष प्रदेश भर के विभिन्न जिलों में सेवानिवृत्त हुए अध्यापकों के नाम बताए जाए। इतना ही नहीं एक पत्र में जानकारी मांगी गई कि किस स्कूल में कितने बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि उक्त जानकारी मांगने के लिए आवेदन तो शिक्षा निदेशालय, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में आए लेकिन इन आवेदनों के मद्देनजर विभाग ने अपने स्तर पर जानकारी जुटाकर जवाब देने की बजाय आवेदन पत्र ही स्कूल स्तर तक भेज दिया और जानकारी देने के लिए आदेश जारी कर डाले।
बताया जा रहा है कि ऐसे में स्कूल स्तर पर बैठे अध्यापकों के लिए समस्या पैदा हो गई। सवाल है कि स्कूल स्तर पर बैठे अध्यापक कैसे बताएं कि जिला में वर्ष 2005 में नियुक्त हुए जेबीटी अध्यापकों की संख्या कितनी है और उन्हें कितना वेतन मिल रहा है।
इतना ही नहीं जिला स्तर पर गणित के कितने अध्यापक कार्यरत हैं और किस स्कूल में कितने बच्चे दाखिल हैं।
इसके अलावा किस स्कूल को मिड-डे मील योजना के तहत कितना गेहूं, चावल और राशन प्राप्त हुआ है।
कई बार भेज देते हैं पत्र : डीईईओ
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी (डीईईओ) मधु मित्तल ने पुष्टि की कि कई बार इस प्रकार के पत्र शिक्षा निदेशालय की ओर से उनके कार्यालय में आ जाते हैं जिसमें जानकारी प्रदेश स्तर की मांगी होती है। इन पत्रंे को उनके कार्यालय द्वारा आगे बीईओ या स्कूल स्तर तक फारवर्ड कर दिया जाता है। क्योंकि, स्कूल स्तर से आई जानकारी आवेदनकर्ता को भेजी जाती है। dj
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