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Saturday, 22 March 2014

16 सरकारी स्कूल होंगे बंद

** सरकारी स्कूलों में निरंतर घट रही बच्चों की संख्या 
** डीईओ ने स्कूल हेड से कहा-बच्चे बढ़ाओ अन्यथा स्कूल बंद करो 
** कई स्कूलों में 20 से भी कम बच्चे, नजदीक के सरकारी स्कूलों में शिफ्ट होंगे 
कैथल : जिले के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित राजकीय प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की निरंतर घट रही संख्या शिक्षा अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। पिछले दो वर्षों से शिक्षा अधिकारी प्राइमरी हेड पर बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन कामयाबी न मिलने के कारण शिक्षा अधिकारियों ने ऐसे 16 स्कूलों की लिस्ट तैयार कर ली है। जिन्हें बंद करके बच्चों को नजदीक के प्राइमरी स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा। इन स्कूलों में शिक्षा विभाग के नियमों अनुसार बच्चों की संख्या 20 से भी कम है। 
ब्लॉक चीका की राजकीय प्राथमिक पाठशाला मटकालियां में आठ बच्चे, राजकीय प्राथमिक पाठशाला प्रेम नगर में कोई बच्चा नहीं, राजकीय प्राथमिक पाठशाला रत्ताखेडा (घड़ाम) में 16 बच्चे व राजकीय प्राथमिक पाठशाला डेरा ज्ञानी राम में 15 बच्चे हैं। ब्लॉक पूंडरी की राजकीय प्राथमिक पाठशाला पावला में नौ बच्चे, राजकीय प्राथमिक पाठशाला जटेड़ी में 14 बच्चे व राजकीय प्राथमिक पाठशाला डेरा फर्ल में आठ बच्चे हैं। ब्लॉक सीवन की राजकीय प्राथमिक पाठशाला डेरा दिल्लू राम में चार बच्चे, राजकीय प्राथमिक पाठशाला डेरा गुरदासपुर में 17 बच्चे, राजकीय प्राथमिक पाठशाला डेरा झबरा में छह बच्चे, राजकीय प्राथमिक पाठशाला डेरा उत्तम सिंह में छह बच्चे, राजकीय प्राथमिक पाठशाला जीपीएस गोबिंदपुरा में नौ बच्चे, राजकीय प्राथमिक पाठशाला रामपुरा में 10 बच्चे और राजकीय प्राथमिक पाठशाला थेह खरक में 17 बच्चे हैं। इसी प्रकार ब्लॉक कैथल की राजकीय प्राथमिक पाठशाला कालू की गामड़ी 12 व राजकीय प्राथमिक पाठशाला पट्टी डोगर 9 बच्चे हैं। 
सभी बच्चों को मिलेगी शिक्षा 
उप शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने कहा कि जिले में प्रत्येक एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक पाठशाला स्थित है। अगर शिक्षा विभाग की नीतियों के अनुसार कुछ स्कूल बंद भी करने पड़े तो उन स्कूलों के बच्चे नजदीक के स्कूलों में शिफ्ट कर देंगे। ऐसे बच्चों को स्कूल की दूरी की समस्या होगी। इस समस्या को भी गांव की पंचायत के सहयोग से समाप्त कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले में किसी भी बच्चे को स्कूल और अध्यापकों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। 
प्रवेश उत्सव में बढ़ाएंगे संख्या 
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सतीश राणा ने कहा कि 16 स्कूलों में से कुछ ऐसे स्कूल भी हैं। जहां कुछ बच्चों की कमी पूरी होने से आंकड़ा 20 से ऊपर हो जाएगा। ऐसे में वे प्रवेश उत्सव के दौरान राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं के हेड टीचर को बच्चों की संख्या बढाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे अपने स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ा पाएंगे। अगर वे असफल रहे तो शिक्षा विभाग की नीतियों के अनुसार स्कूल बंद करके बच्चों को नजदीक की राजकीय प्राथमिक पाठशाला में शिफ्ट कर दिया जाएगा। अध्यापकों को उन स्थानों पर भेजा जाएगा। जहां अध्यापकों की संख्या अधिक है। 
कलायत और राजौंद ब्लॉक में नहीं कोई ऐसा स्कूल 
कलायत और राजौंद ब्लाक के सभी स्कूलों में बच्चे 20 से ऊपर हैं। इन दोनों ब्लॉक में ऐा कोई प्राइमरी स्कूल नहीं है। जहां बच्चों की संख्या 20 से कम है। शिक्षा अधिकारियों के अनुसार इस क्षेत्र में लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों के स्थान पर सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाह रहे हैं। इसी कारण इन दोनों ब्लॉक के स्कूलों में बच्चों की संख्या काफी अधिक है।
प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना पंसद करते हैं लोग
ग्रामीण क्षेत्र में लगातार शिक्षा का स्तर गिरने के कारण माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों से हटाकर प्राइवेट में पढ़ाना पसंद कर रहे हैं। सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण ज्यादातर स्कूलों में एक ही अध्यापक को पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाना पड़ रहा है। अगर अध्यापक को किसी जरूरी काम से जाना पड़ जाए तो उसे स्कूल बंद करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर प्रवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे बच्चे भी माता-पिता के काम के हिसाब से ही स्कूल आते हैं।         db

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